हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

पिता के पैर में चोट लगी तो बना डाला ड्राइवरलेस ट्रैक्टर

WhatsApp Group Join Now
Instagram Group Join Now
Telegram Group Join Now

 

19 साल के लड़के ने किया कमाल

 

स्टेयरिंग संभालने, गियर बदलने और ब्रेक लगाने के लिए इस ट्रैक्टर की सीट पर कोई ड्राइवर नहीं बैठता. फिर भी यह सारे काम करता है.

योगेश ने एक ऐसा रिमोट बनाया है जो डेढ़ किलो मीटर दूर तक से इस ट्रैक्टर को कंट्रोल कर सकता है.

 

भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. बड़े शहरों से लेकर दूर दराज के छोटे गांवों तक एक से बढ़कर एक इनोवेटिव काम हो रहे हैं.

कोई शौक पूरा करने के लिए तो कोई मजबूरी में नए प्रयोग कर रहा है और उससे के नतीजों से लोगों की जिंदगी में बड़े स्तर पर बदलाव आ रहा है.

इसी तरह का काम किया है, राजस्थान के बारां जिले के एक 19 साल के लड़के ने. पिता के पैर में चोट लग गई तो योगेश नागर ने ड्राइवरलेस ट्रैक्टर ही बना दिया.

 

यह भी पढ़े : 10 करोड़ किसानों के लिए खुशखबरी

 

सबसे खास बता है कि योगश कोई इंजीनियर या टेक्निशियन नहीं हैं. स्टेयरिंग संभालने, गियर बदलने और ब्रेक लगाने के लिए इस ट्रैक्टर की सीट पर कोई ड्राइवर नहीं बैठता.

फिर भी यह सारे काम करता है. योगेश ने एक ऐसा रिमोट बनाया है जो डेढ़ किलो मीटर दूर तक से इस ट्रैक्टर को कंट्रोल कर सकता है.

 

अब उनके खेतों में ट्रैक्टर को चलाने के लिए किसी ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती. इससे पैसा तो बचता ही है, साथ ही गाड़ी चलाने में खर्च होने वाले मेहनत का इस्तेमाल खेती के कार्यों में होता है. इससे उत्पादकता बढ़ती है और लागत कम होने से मुनाफा ज्यादा होता है.

 

हिस्ट्री टीवी18 के मुताबिक, 19 साल के योगेश नागर राजस्थान के बारां जिले के रहने वाले हैं. वे कोटा में रहकर बीएससी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई करते थे.

इसी दौरान उन्हें घर वालों ने बताया कि पिता के पैर में चोट लग गई है और खेती-बाड़ी का काम प्रभावित हो गया है.

इसके बाद योगेश अपने घर पहुंच गए और लगातार दो महीने तक ट्रैक्टर चलाया.

 

दोस्तों और रिश्तेदारों से मांगकर पिता ने दिए पैसे

इसके बाद उनके दिमाग में कुछ अलग करने का आइडिया आया. उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ड्राइवरलेस ट्रैक्टर बनाने की दिशा में काम किया जाए, जिसे रिमोट के सहारे चलाया जा सके.

अपनी योजना के बारे में योगेश ने पिता से बताया. उन्होंने कहा कि पहले कोई छोटा सैम्पल बना कर दिखाओ, फिर बड़े पर काम करना. इस पर योगेश राजी हो गए और पिता ने 2000 रुपए दिए.

योगेश ने इन पैसों से कुछ जरूरी सामान खरीदे और ट्रैक्टर को आगे-पीछे कर के दिखाया. इसके बाद पिता को भरोसा हो गया कि बच्चा अपने मकसद में कामयाब हो सकता है.

 

यह भी पढ़े : भारत का पहला फुली ऑटोमेटिक ट्रैक्टर

 

योगेश के पिता ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे इकट्ठे किए और 50 हजार रुपए योगेश को दिए. इसी पैसे से योगेश ने 6 महीने के भीतर ड्राइवरलेस ट्रैक्टर के लिए रिमोट तैयार कर लिया.

यह रिमोट पूरी तरह से ट्रैक्टर को कंट्रोल करता है. योगेश बताते हैं, ‘रिमोट में ही स्टेयरिंग, क्लच, गियर और ब्रेक हैं. आप डेढ़ किलो मीटर दूर से भी ट्रैक्टर को इस रिमोट के जरिए पूरी तरह कंट्रोल कर सकते हैं.’

 

देखे विडियो 

 

video source : Youtube (history tv 18)

सेना के लिए बनाना चाहते हैं ड्राइवरलेस टैंकर

योगेश ने ट्रैक्टर में एक ट्रांसमीटर लगाया है, जो रिमोट कंट्रोल और ट्रैक्टर के बीच कनेक्टर का काम करता है. यह किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

ड्राइवरलेस ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर वे ड्राइवर पर खर्च होने वाले पैसे बचा सकते हैं. साथ ही गाड़ी चलाने में लगने वाले मेहनत का इस्तेमाल खेती के अन्या कार्यों में हो सकता है.

ड्राइवरलेस ट्रैक्टर बनाने के बाद योगेश अब भारतीय सेना के लिए ड्राइवरलेस टैंक बनाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने मेक इन इंडिया अभियान के तहत अपने प्रोजेक्ट को अप्रूव और फंड करवाना चाहते हैं.

 

यह भी पढ़े : खरीफ फसलों की बुवाई से पहले किसान कर लेंगे ये तैयारी तो काम हो जाएगा आसान

 

source

 

शेयर करे