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किसान दलहनी फसलों को दाल बनाकर बेचें तो दोगुना लाभ कमाएं

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जवाहरलाल नेहरू कृषि विष्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र उमरिया कृषि विज्ञान केंद्र, के वैज्ञानिकों द्वारा मिनी दाल मिल आधारित कृषक उत्पादक समूह गठित किए जा रहे हैं, जिसका उद्देष्य दलहनी फसलों की उपज को दाल बनाकर बेचना है। इससे किसान की आय सीधे दोगुनी हो जायेगी।

 

मध्यप्रदेश का उमरिया जिला आदिवासी बाहुल्य है। यहाँ दलहनी फसलों का रकवा 30,000 हेक्टेयर है। दलहनी फसलों में तुअर एवं चना मुख्य रूप से उगाई जाती है, इसके साथ-साथ उड़द, मसूर, मटर एवं ग्रीष्म कालीन मूंग भी कृषकों द्वारा ली जाती है, जिसका उत्पादन 25,000 टन के लगभग होता है। कृषकों द्वारा अपनी उपज का 80 प्रतिषत भाग लगभग 20,000 टन बगैर दाल बनाए सीधा ही व्यापारियों को बेच दिया जाता है, जिससे उन्हें मात्र 100 करोड़ रूपये मिलता है।

 

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यदि दलहनी फसलों की उपज को मिनी दाल मिल द्वारा प्रसंस्करित कर दाल बनाकर बाजार में विक्रय किया जाता है तो 150 से 200 करोड़ रूपये मूल्य कृषकों को प्राप्त होगा जो कि पूर्व में प्राप्त उपज के मूल्य से 1.5 से 2.0 गुना होगा। जिसका लाभ सीधे कृषकों को अपने समूह के माध्यम से होगा।

मिनी दाल मिल मषीन का मूल्य 1,41,000 रूपये है एवं चलाने का खर्च 100 रूपये प्रति क्विंटल के लगभग होगा। जिस उपज को कृषक बाजार में 5000 रूपये प्रति क्विंटल बेचते हैं वह दाल बनाकर 9900 रूपये प्रति क्विंटल दाल के रूप में विक्रय कर सकते हैं।

 

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