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खरीफ सीजन में करनी है सोयाबीन की खेती तो लगाइए यह खास किस्म

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आसानी से होगी मोटी कमाई

 

अगर आप भी खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती करना चाहते हैं तो हम आपको इस तिलहनी फसल के उस किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हासिल कर पाएंगे.

सोयाबीन की इस किस्म को खासकर व्यावसायिक खेती के लिए ही तैयार किया गया है.

 

देश के किसान अभी खरीफ फसलों की खेती में लगे हुए हैं.

सोयाबीन भी खरीफ सीजन की एक प्रमुख फसल है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के किसान इसकी प्रमुखता से खेती करते हैं.

नई किस्मों के आने के बाद अन्य राज्यों जैसे कि झारखंड के किसान भी अब सोयाबीन की खेती कर मोटी कमाई कर रहे हैं.

 

अगर आप भी खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती करना चाहते हैं तो हम आपको इस तिलहनी फसल के उस किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हासिल कर पाएंगे.

सोयाबीन की इस किस्म को खासकर व्यावसायिक खेती के लिए ही तैयार किया गया है.

इसका उदेश्य है कि किसानों की आय में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि हो.

 

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सत्तू लेकर गुलाब जामुन तक बना सकते हैं

सोयाबीन की इस किस्म से कई तरह के बाई प्रोडक्ट भी तैयार होते हैं, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.

इसकी खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इस किस्म की हरी फली को सूखा कर किसान सोया पनीर बना सकते हैं.

सोयाबीन की इस खास किस्म से उच्च गुणवत्ता वाला सत्तू, छेना, सोया दही, गुलाब जामुन और आइसक्रीम जैसे उत्पाद बनाकर किसान अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा सकते हैं.

 

कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की जिस उन्नत किस्म को तैयार किया है, उसका नाम है स्वर्ण वसुंधरा.

इस बीज से फसल जल्द तैयार हो जाती है और कम लागत में किसानों को अधिक आय होती है.

यह प्रोटीन और विटामिन से भरपूर है. यहीं कारण है कि इसकी मांग काफी ज्यादा है.

स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन की एक एकड़ खेती में लागत 30 हजार रुपए है जबकि लाभ 3 लाख रुपए तक होता है.

 

दूसरे राज्यों में लोकप्रिय बनाने की हो रही कोशिश

इसकी हरी फली बुवाई के 70 से 75 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके बाद इन फलियों की दो तुड़ाइयां और होती हैं.

इस किस्म में पचने योग्य प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड और आवश्यक फैटी एसिड के अलावा फास्फोरस, लोहा, कैल्शियम, जस्ता, थियामिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन ई, आहार फाइबर और चीनी पाई जाती है.

 

गोल वाले हरी बीन्स का उपयोग स्वादिष्ट पकी हुई सब्जियों के लिए किया जाता है जबकि सूखे बीजों का अन्य कामों में इस्तेमाल होता है.

उच्च पोषकता के वजह से ही झारखंड के अलावा देश के दूसरे राज्यों में भी इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने की कोशिश हो रही है.

भारत में पारंपरिक तौर पर कुछ राज्यों में सोयाबीन की खेती होती रही है. लेकिन सरकार अब तिलहन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है.

इसी वजह से दूसरे राज्यों में खेती लायक नई किस्मों को तैयार किया जा रहा है.

 

अगर आप भी इस खरीफ सीजन कुछ हटकर करना चाहते हैं तो सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म को आजमा सकते हैं.

इस किस्म के साथ सबसे अच्छी बात है कि यह कई तरह से प्रयोग करने लायक है और इसी खूबियों के कारण इसमें लाभ के मौके अधिक हैं.

 

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