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इस पेड़ पर साल भर लगते हैं आम

 

गमले में भी कर सकते हैं बागवानी

 

दूसरी किस्मों के मुकाबले इस आम का फल ज्यादा मीठा होता है.

 

इसका टेस्ट लगभग लंगड़ा आम की तरह होता है. पोषक तत्वों से भरपूर यह आम स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जा रहा है.

इसका पल्प कम फाइबर वाला और गहरे नारंगी रंग का है.

 

फलों का राजा आम का सीजन बस आने ही वाला है और आपको इसका बेसब्री से इंतजार है. आम को उसके गुणों और स्वाद के लिए सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.

इसकी कई वेरायटी हैं जिसे लोग अपने-अपने स्वाद के हिसाब से पसंद करते हैं. आम में नापसंदगी जैसी कोई बात नहीं है. दिक्कत तभी होती है जब हम सालों भर आम का स्वाद चखना तो चाहते हैं लेकिन इसकी उत्पादकता हमेशा नहीं मिल पाती.

अब इस दिक्कत का समाधान भी सामने आ गया है क्योंकि एक आम ऐसा भी है जो सालों भर फल देता है.

 

राजस्थान के एक किसान ने आम की एक ऐसी किस्म तैयार की है जिसे आप साल भर चख सकते हैं, उसका लजीज टेस्ट ले सकते हैं. इस किसान के नए प्रयोग से आम की पैदावार अब साल भर ले सकते हैं.

राजस्थान के इस किसान का नाम श्रीकृष्ण सुमन है जो 55 साल के प्रगतिशील किसान हैं. सुमन राजस्थान के कोटा जिले में रहते हैं.

उन्होंने कोटा में ही आम की सदाबहार आम की किस्म तैयार की है. ये किस्म साल भर फल देती है. खास बात यह है कि इसमें किसी तरह की बीमारी भी नहीं लगती.

 

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लंगड़ा की तरह है टेस्ट

दूसरी किस्मों के मुकाबले इस आम का फल ज्यादा मीठा होता है. इसका टेस्ट लगभग लंगड़ा आम की तरह होता है. पोषक तत्वों से भरपूर यह आम स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जा रहा है.

इसका पल्प कम फाइबर वाला और गहरे नारंगी रंग का है. इस आम का पेड़ काफी घना और छायादार होता है. अहम बात यह है कि इसके पेड़ को गमले में भी कुछ साल तक लगाया जा सकता है.

 

आम की यह खास किस्म तैयार करने वाले श्रीकृष्ण सुमन का संबंध एक गरीब परिवार से है. उनकी पढ़ाई-लिखाई भी ज्यादा नहीं हुई है और क्लास 2 तक पढ़ने के बाद ही वे बाहर हो गए थे.

स्कूल छोड़ने के बाद सुमन ने अपना पारिवारिक पेशा माली का काम शुरू कर दिया था. उस वक्त सुमन का परिवार सिर्फ धान और गेहूं की खेती करता था. इससे काफी कम आमदनी होती थी.

गरीबी से निजात दिलाने के लिए सुमन ने नई तरकीब सोची और बागवानी पर ध्यान दिया. शुरू से ही उन्हें फूलों और फलों से लगाव था, इसलिए उन्होंने शुरू में फूलों की खेती शुरू की.

 

फूलों के साथ फलों की खेती

सुमन ने गुलाब की खेती शुरू करने के साथ आम की भी बागवानी की. यह बात साल 2000 की है जब सुमन ने अपने बागान में एक ऐसा पेड़ देखा जो बेहद तेजी से बढ़ रहा था.

उन्होंने देखा कि इस पेड़ पर साल भर बौर आती है. यह वाकया देखने के बाद उन्होंने इस पेड़ की 5 कलमें तैयार की. उन्होंने देखा कि पेड़ के कलम लगाने के बाद पेड़ में दूसरे ही साल फल लगने शुरू हो गए.

सुमन को इस किस्म को तैयार करने में 15 साल का वक्त लगा. इन नई किस्म को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) ने भी मान्यता दी है. इन नई किस्म को तैयार करने के लिए श्रीकृष्ण सुमन को अवॉर्ड भी मिला है.

 

अभी किसानों तक इस आम की नई किस्म की जानकारी पहुंचाने की कोशिश हो रही है. इस पेड़ की लोकप्रियता की स्थिति यह है कि पिछले दो साल में श्रीकृष्ण सुमन को आम के इस पेड़ के 8 हजार से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं.

देश भर में वे छह हजार से ज्यादा पौधों की आपूर्ति भी कर चुके हैं. अब इस पेड़ के लिए विदेश से भी मांग आ रही है. देश के अलग-अलग अनुसंधान केंद्रों को भी इसकी हजारों कलमें भेजी गई हैं.

 

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