श्री विधि से गेहू का तीन गुना तक उत्पादन ले सकते हो
श्री विधि से गेहूँ बोनी करने हेतु खेत की तैयारी सामान्य बोनी की तरह ही कर निंदा व ढेले रहित एवं समतल कर जल निकास युक्त कर लेवे।
श्री विधि से गेहूँ की बोनी करने पर ढाई से तीन गुना उत्पादन अधिक प्राप्त होता है।क्योकि गेहूँ को पर्याप्त मात्रा में भूमि व हवा एवं सूर्य का प्रकाश मिलने से प्रकाश संश्लेषण क्रिया अच्छी होने से एक स्थान से 50 से 60 गेहूँ के कल्ले निकलते है।
किसान भाई एक बीघा, आधा बीघा, पाव बिघा ट्राई करे प्रयोग कर खेती कर के देखे आश्चर्य जनक परिणाम मिलेगा।
श्री विधि से बोनी करने हेतु आवश्यक सामग्री
1.गेहूँ के उन्नत किस्म के बिज एक एकड़ हेतु 10 किलो ग्राम पर्याप्त होता है।
2.गुन- गुना पानी 20 लीटर 60 सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म करे।
3.वर्मी कम्पोस्ट केचुआ खाद 4 किलो।
4.देशी गाय का गोमूत्र 4 लीटर।
5.देशी गुड़ 4 किलो।
6.बाविस्टीन 10 ग्राम व एम-45 दवाई 20 ग्राम या ट्राइकोडर्मा विरिडी 100 ग्राम।
7.पी0एस0बी0कल्चर 100ग्राम। 8.एजेक्टोबेक्टर कल्चर 100 ग्राम।
9.देशी खाद अच्छी पक्की हुई 20 क्विंटल या धारा वर्मी केचुआ खाद कम्पोस्ट खाद 4 क्विंटल।
10.रासायनिक डी0ए0पी0खाद 40 किलो ग्राम।
11.रासायनिक खाद पोटास 20 किलो ग्राम।
12.रासायनिक खाद यूरिया खाद 30 किलोग्राम।
13.खाली बोरे जूट के एक से दो नग।
बिज उपचार की विधि
20 लीटर गुन-गुना पानी जो60 सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म करना चाहिए इस पानी में 10 किलो बिज सर्वप्रथम डाल देवे कुछ बिज पानी की ऊपरी सतह पर तैरता दिखाई दे तो वो खराब बिज होते है। जिन्हें बाहर निकाल देवे और अच्छे बिज पानी की निचली सतह में बैठ जाते है। उसके बाद 4किलो ग्राम धारा वर्मी केचुआ खाद, 4किलो ग्राम गुड़, 4 लीटर देशी गाय का गोमूत्र इत्यादि को भली भाँति मिक्स कर लेवे। और उक्त मिश्रण के साथ बिजो को कम से कम 6 से 8 घण्टे रखना अतिआवश्यक होता है। तत्पश्चात उक्त मिश्रण को एक बोरे में भर कर कही उच्चे स्थान पर छाया में लटका देवे जब पानी पूर्ण रूप से उक्त मिश्रण से अलग हो जाने के बाद फफूँद नाशक दवाई बाविस्टीन10 ग्राम व एम-45 दवाई 20 ग्राम से बिज उपचार करे या ट्राइकोडर्मा विरिडी जैविक फफूँद नाशक 100 ग्राम से बिज उपचार के ठीक बाद 100 ग्राम पी0एस0बी0कल्चर व 100ग्राम एजेक्टोबेक्टर कल्चर से बिजो का उपचार करने के बाद उपचारित बिजो को गीले बोरे पर समान रूप से फैलाकर कर ऊपर से गीले ही बोरे से ढक कर 12 घंटे के लिए रख देवे। जिससे बिजो में अच्छे से अंकुरण आ जावेगा।
बोनी हेतु आवश्यक समय
मध्य नवम्बर से दिसम्बर तक अनिवार्य रूप से बोनी करने हेतु उत्तम समय होता है और अधिक उत्पादन भी होता है।
श्री विधि से गेहूँ बोनी के पूर्व रासायनिक खाद व देशी जैविक खाद की मात्रा निम्नानुसार देवे
20 क्विंटल देशी खाद या वर्मी कंपोस्ट ( केचुआ खाद) 4 क्विंटल एवं डी0ए0पी0 की पूर्ण मात्रा 40 किलो ग्राम व पोटास 10किलो ग्राम 10किलो यूरिया को मिलाकर खेत में बोनी के पूर्व समान रूप से देकर मिटटी में मिला देना चाहिये।
श्री विधि से गेहूँ बोने की विधि
तैयार नमी युक्त खेत में देशी हल या कुदाली से कुण्ड तैयार करे कतार से कतार 8 इंच एवं पौधे से पौधा भी 8 इंच की दूरी पर 2 -2 बीज 3-से-4 सेंटीमीटर गहराई पर लगावे बिज की चोपाई करने के बाद बिज को मिटटी से अच्छे से ढक देवे। बोनी के पश्चात् आवश्यकता पढ़ने पर स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई कर देवे तीन से चार दिन में अंकुरण ठीक से निकल आएंगे रिक्त स्थान पर उपचारित बिजो को पुनः लगाएं ।
सिंचाई की क्रांतिक अवस्थाएँ
प्रथम सिंचाई 15 से 20 दिन में करने के पूर्व रासायनिक उर्वरक 10 किलो यूरिया 10 किलो पोटास और 50 किलो धारा वर्मी खाद देशी खाद में तीनो खाद को मिक्स कर कतारो में देवे।दूसरी सिंचाई 30 से 35 दिन में करे तीसरी सिंचाई 40 से 45 दिन में करने के पूर्व 10 किलो यूरिया का छिड़काव कर सिंचाई करे चौथी सिंचाई 60 से 65 दिन में करे पाँचवी सिचाई 80 से 85 दिन में करे एवं छटवी सिंचाई 100 से 105 दिन में करे।
टिप :–
ध्यान रखे गेहूँ की बाली निकलते समय प्रति हेण्ड स्प्रेयर पम्प 250 ग्राम यूरिया का गोल बनाकर छिड़काव करने से गेहूँ की बाली समान रूप से एक साथ आ जावेगी और गेहूँ में कलर और उत्पादन भी अधिक होगा।
यदि आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो प्रत्येक किसान तक पहुँचाने में मदद करे।
source: ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी