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अधिक पैदावार के लिए सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह

 

सोयाबीन की बुआई के लिए वैज्ञानिकों की सलाह

 

देश में अभी खरीफ फसलों की बुआई का समय चल रहा है, खरीफ फसलों में सोयाबीन एक प्रमुख फसल है |

पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के चलते सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है ऐसे में जरुरी है कि किसान इस वर्ष सावधानीपूर्वक वैज्ञानिक तरीके से ही सोयाबीन की खेती करें |

सोयाबीन की खेती के लिए किसान किस तरह तैयारी करें एवं बुआई के बाद क्या करें इसको लेकर भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान इंदौर के द्वारा सलाह जारी की है |

 

सोयाबीन की बुआई की तैयारी इस तरह करें

किसान सोयाबीन की खेती के लिए इन विशेषताओं (उत्पादन क्षमता, पकने की अवधि तथा जैविक कारकों के लिए प्रतिरोधक क्षमता) के आधार पर विभिन्न समयावधि में पकने वाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित 2 से 3 किस्मों का चयन करें |

प्रत्यके 3 वर्ष में एक बार जमींन की गहरी जुताई करने की अनुशंसा है |

इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं करनी हो, विपरीत दिशाओं में दो बार बक्खर चलाकर खेत को बोवनी हेतु तैयार करें |

 

सलाह है कि 4 से 5 वर्ष में एक बार अपने खेत में 10 मीटर के अंतराल पर आड़ी एवं खड़ी दिशा में सब–साईलर चलायें |

इससे अधोभूमि की कठोर परत को तोड़ने में सहायता मिलती है जिससे जमीन में नमी का अधिक से अधिक संचयन होता है व सूखे की स्थिति में फसल को सहायता मिलती है |

 

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बुआई एवं बखरनी

अंतिम बखरनी के पूर्व पूर्णत: पकी हुई गोबर की खाद की अनुशंसित मात्रा (5 से 10 टन/है.) या मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति है. की दर से फैला दें |

सोयाबीन की बुआई बी.बी.एफ. पद्धति या रिज एवं फरो पद्धति से करें |

इससे अतिरिक्त पानी का निकास व जल संचय न होने से सूखे की स्थिति में लाभ मिलता है |

न्यूनतम 4 इंची वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बोवनी करें जिससे उगी हुई फसल को कम नमी के कारण किसी प्रकार का कोई नुक्सान नहीं हो |

 

सोयाबीन की बुआई के लिए बीज दर

सोयाबीन की बोवनी हेतु अपने पास उपलब्ध बीज के न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के अनुसार बीज दर का प्रयोग करें |

जैसे कि 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 70 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तथा 65, 60, 55 या 50 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 18 इंच कतारों की दुरी रखते हुए 75, 80, 90 या 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज दर का उपयोग करें |

 

सोयाबीन में बुआई के समय कितनी खाद डालें

फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (20:60:40:20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय चयन उर्वरकों के विभिन्न श्रोतों जैसे 56 किलोग्राम यूरिया + 375 किलोग्राम सुपर फास्फेट व 67 किलोग्राम म्यूरेट आँफ पोटाश अथवा 125 किलोग्राम डी.ए.पी. + 67 किलोग्राम म्यूरेट आँफ पोटाश + सल्फर अथवा 200 किलोग्राम या मिश्रित उर्वरक 12:32:16 + सल्फर की सम्पूर्ण मात्रा का उपयोग केवल सोयाबीन की बोवनी से पहले फैलाकर बोवनी करें |

 

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कीट एवं रोगों से बचाव के लिए क्या करें

प्रारंभिक अवस्था में रोग तथा कीटों से बचाव के साथ–साथ उपयुक्त पौध संख्या सुनिश्चित करने हेतु सोयाबीन में बीजोपचार अत्यंत आवश्यक हैं, इसके लिए अनुशंसा हैं कि सर्वप्रथम बीज को अनुशंसित पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक थायोफिनेट मिथाईल + पायरोक्लोस्ट्रोबीन अथवा पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लोकिसस्ट्रोबीन 38 एफ.एस. (1 मि.ली. . किलोग्राम बीज) अथवा कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरस 37.5% (3 किलोग्राम प्रति बीज) अथवा थाइरस (2 ग्राम) एवं कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित कर थोड़ी देर छाया में सुखाएं |

तत्पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायामिक्स्म 30 एफ.एस. (10 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज) अथवा इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मिली. प्रति किलोग्राम बीज) से भी उपचारित करें |

यह भी अनुशंसा है कि अनुशंसित फफूंदनाशक व कीटनाशक से बीजोपचार के पश्चात् अनुशंसित जेविक कल्चर ब्रेडिराय्जोबियम + पी.एस.एम. (प्रत्येक 5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से) करें |

 

इनमे से फफूंदनाशक व कीटनाशक से बीजोपचार बोवनी के पूर्व भी किया जा सकता हैं जबकि जैविक कल्चर से टीकाकरण केवल बोवनी के समय ही किये जाने की अनुशंसा हैं |

कृषकगण रसायनिकी फफूंदनाशक के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्मा (10 ग्राम/किलोग्राम बीज) का भी उपयोग कर सकते है जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है |

 

सफेद सुंडी (वाइट ग्रब) के प्रयोग से सुरक्षित करने हेतु कीटनाशक विशेषकर इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मि.ली. / किलोग्राम बीज) से उपचारित करने से पौधों की जड़ों का नुकसान कम किया जा सकता है |

इसके बाद प्रकाश प्रपंच लगाकर सफेद सुंडी के नर वयस्कों को आकर्षित कर नष्ट करें |

 

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सोयाबीन में इन दवाओं से करें खरपतवार नियंत्रण

सोयाबीन की फसल में खरपतवार को रोकने के लिए खरपतवारनाशी का प्रयोग करना चाहिए |

खरपतवारनाशी को रोकने के लिए बुवाई से पहले तथा बुवाई के बाद दोनों प्रकार के दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

बौवनी पूर्व उपयोगी (पीपीआई) : – बुवाई से पहले सोयाबीन की खेत में खरपतवार रोकने के लिए पेंडीमिथालीन + इमेझेथापायर की 2.5 से 3 लीटर मात्रा प्रति हैक्टेयर उपयोग कर सकते हैं |

बौवनी के तुरंत बाद (पीई) :- बुवाई के बाद सोयाबीन के खेत से खरपतवार रोकने के लिए निम्नलिखित दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

 

  • डायक्लोसुलम 84 डब्ल्यू.डी.पी. (26 ग्राम)/हैक्टेयर
  • सल्फेंट्राझोन 48 एस.सी. (0.75 ली.)/हैक्टेयर
  • क्लोमोझोम 50 ई.सी. (2.00 ली.)/हैक्टेयर
  • पेंडीमिथालीन 30 ई.सी. (3.25 ली.)/हैक्टेयर
  • पेंडीमिथालीन 38.7 सी.एस. (1.5 से 1.75 किलोग्राम)/हैक्टेयर
  • फ्लूमिआक्साझिन 50 एस.सी. (0.25 ली.)/हैक्टेयर
  • मेटालोक्लोर 50 ई.सी. (2 ली.)/हैक्टेयर
  • मेट्रीब्युझिन 70 डब्ल्यू.पी. (0.75 से 1 किलोग्राम)/हैक्टेयर
  • सल्फेन्ट्राझोन + क्लोमोझोन (1.25 ली.)/हैक्टेयर
  • पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यू.जी. (150 ग्राम)/हैक्टेयर 

 

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