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शनिवार से तेज बौछारें पड़ने के आसार

 

विशेषज्ञ बोले किसान सोयाबीन लगाने से परहेज करें

 

मानसून के आगे बढ़ने की भी संभावना।

 

बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। झारखंड पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। पूर्व-पश्चिम द्रोणिका लाइन (ट्रफ) मध्य प्रदेश की सीमा से होकर गुजर रही है।

इन तीन वेदर सिस्टम के प्रभाव से रविवार से प्रदेश के अधिकांश जिलों में तेज बौछारें पड़ने का सिलसिला शुरू होने के आसार हैं। हालांकि पूर्वी मप्र में रुक-रुक कर बरसात का सिलसिला जारी है।

इसी क्रम में शुक्रवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक सीधी में 23, छिंदवाड़ा में 9, जबलपुर में 7.8, सागर में 5, रीवा में 3, नौगांव में 1 मिलीमीटर बरसात हुई।

उधर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में अपेक्षित वर्षा नहीं होने से खरीफ की बोवनी काफी पिछड़ गई है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए किसान सोयाबीन की बोवनी नहीं करें।

 

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मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि 11 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में उत्तरी आंध्रा और दक्षिणी ओडिशा के बीच एक कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है।

झारखंड पर 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक चक्रवात बना हुआ है। इस वजह से बड़े पैमाने पर नमी आने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस वजह से पूर्वी मप्र में बरसात हो रही है।

शनिवार से पश्चिमी और दक्षिणी मप्र में भी वर्षा होने के आसार है। रविवार से प्रदेश के अधिकांश जिलों में अच्छी बारिश का सिलसिला शुरू हो सकता है।

साथ ही मानसून के भी आगे बढ़ने की संभावना है।

 

इन क्षेत्रों में बारिश के आसार

शनिवार-रविवार को शहडोल, सागर, जबलपुर, भोपाल, होशंगाबाद, रीवा, उज्जैन एवं इंदौर संभाग के जिलों में कई स्थानों पर गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।

 

कम लागत और कम पानी वाली फसल लगाएं

पूर्व कृषि संचालक एवं कृषि विशेषज्ञ डॉ.जीएस कौशल ने बताया कि बारिश का दौर थमने से खरीफ फसल की बोवनी काफी पिछड़ गई है।

विशेषकर सोयाबीन की बोवनी के लिए समय लगभग निकल चुका है।

किसानों को चाहिए कि वे सोयाबीन के बजाए मूंग, उड़द, तिल्ली, ज्वार, बाजरा, मक्का की फसल लगाएं।

देशी बीजों का चयन करें और जैविक खाद का इस्तेमाल करें।

 

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