तुलसी की खेती “आम के आम गुटलियों के दाम”
राजगढ़ तहसील के सांडाहेडी ग्राम के किसान श्री बनेसिंह यादव इस वर्ष खरीफ फसल मौसम में 4 हेक्टेयर में तुलसी की खेती कर रहे हैं।
इसके पहले वे परंपरागत रूप से अपनी सम्पूर्ण कृषि भूमि पर सोयाबीन की फसल ले रहे थे।
गतवर्ष उन्होंने एक बीघा जमीन में प्रयोग के रूप में सोयाबीन के स्थान पर तुलसी की खेती की थी।
एक बीघा के खेत में 4 क्विंटल तुलसी पत्ति निकली थी। जो 9 हजार रूपये क्विंटल के मान से बिकी।
साथ ही तुलसी लकड़ी भी 18 रूपये प्रति किलो के भाव से बिकी। श्री यादव ने बताया कि उन्हें तुलसी की खेती में ‘‘आम के आम और गुटलियों के दाम‘‘ की तरह मुनाफा मिला।
तुलसी की खेती
श्री यादव ने कहा कि गत चार-पांच साल से सोयाबीन की फसल घाटे का सौदा साबित हो रही थी।
लगातार लागत बढ़ रही थी और उत्पादन घटने से लाभ लगभग न के बराबर हो रहा था। जिसके कारण परिवार के लोग भी दुखी हो रहे थे।
गत वर्ष उन्हें एक बीघा में 3 क्विंटल सोयाबीन फसल मिली थी और बिक्री मात्र चार हजार रूपये प्रति क्विंटल के भाव से उसकी तुलना में उन्हें तुलसी की खेती से आशा से कही अधिक लाभ मिला।
खेती में महज एक पानी देना पड़ा
श्री यादव ने बताया कि तुलसी की खेती में महज एक पानी देना पड़ा।
साथ ही तुलसी में कीटव्याथी की समस्या नहीं आने से उसे कीट नाशक दवाओं का छिड़काव भी नहीं करना पड़ा और थोड़ी से खाद में उसका काम हो गया।
लागत बहुत कम आई और मुनाफा काफी बढ़ गया। उन्होंने बताया कि मोहनपुरा डेम बनने से उन्हे सिंचाई की सुविधा स्ंिप्रकलर से होने पानी की समस्याएं अब नही रही है।
तुलसी की फसल उनके लिए लाभ का धंधा साबित हो रही है।
यह भी पढ़े : गेहूं की इन 5 उन्नत किस्मों की करिए खेती
यह भी पढ़े : गेहूं और सरसों की अच्छी पैदावार के लिए वैज्ञानिक सलाह
यह भी पढ़े : किसानो को सलाह, प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम गेहूं का उपयोग बुआई में करें
शेयर करे