फिर भी अपनी पैदावार बेचने को तैयार नहीं हैं किसान
खरीफ सीजन 2021-22 सीजन में किसानों ने 48.24 लाख हेक्टेयर रकबे में तुअर की खेती की थी.
भारत में महाराष्ट्र और कर्नाटक प्रमुख तुअर उत्पादक राज्य हैं. बंपर पैदावार की उम्मीद के कारण दिसंबर में इस बार तुअर का भाव कम था.
प्रमुख तुअर उत्पादक राज्यों में इस दलहन की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर हो रही है.
बावजूद इसके किसान अपनी पैदावार बेचने को तैयार नहीं हैं.
किसानों के पैदावार रोककर रखने की वजह से कीमतों में और इजाफा हो रहा है.
सरकार ने तुअर की एमएसपी 6300 रुपए प्रति क्विंटल तय की है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह 6500 से अधिक के भाव पर बिक रहा है.
खरीफ सीजन 2021-22 सीजन में किसानों ने 48.24 लाख हेक्टेयर रकबे में तुअर की खेती की थी.
भारत में महाराष्ट्र और कर्नाटक प्रमुख तुअर उत्पादक राज्य हैं. बंपर पैदावार की उम्मीद के कारण दिसंबर में इस बार तुअर का भाव कम था.
हालांकि नैफेड ने अपने केंद्रों पर MSP पर पैदावार की खरीद के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.
लेकिन इसी बीच हुई बारिश ने बंपर पैदावार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
बारिश के कारण उत्पादन में कमी की संभावना
महाराष्ट्र और कर्नाटक के कृषि अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि बारिश के बाद उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है.
इस वजह से दोनों राज्यों की मंडियों में तुअर की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
महाराष्ट्र की प्रमुख तुअर मंडी लातूर में कीमत 6500 से ऊपर चली गई है.
बढ़ते हुए भाव को देखकर किसानों ने पैदावार रोक ली है. वे कीमतों में और बढ़ोतरी के लिए इंतजार कर रहे हैं.
इसी वजह से एमएसपी पर तुअर की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन भी उम्मीद से कम हुआ है.
अगर खुले बाजार में कीमत एमएसपी से अधिक बनी रहती है तो किसान सरकारी केंद्रों पर बिक्री नहीं करेंगे.
बढ़ती कीमतों के बीच इंतजार के मूड में किसान
महाएफपीसी के प्रबंध निदेशक योगेश थोराट ने बताया कि मात्र 7000 किसानों ने अपनी पैदावार बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है.
ज्यादातर किसानों को लगता है कि आने वाले दिनों में कीमतें बढ़ेंगी, इसलिए वे इंतजार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि तुअर के लिए लातूर की मंडी काफी प्रसिद्ध है, लेकिन वहां भी आवक कम है.
महाराष्ट्र की लातूर मंडी से ही देश भर में तुअर की कीमत तय होती है.
बारिश के कारण कम उत्पादन और फिलहाल बढ़ रही कीमतों ने किसानों को मंडी जाने से रोके रखा है.
किसान बारिश से हुई फसल नुकसान को बढ़ी हुई कीमतों से भरपाई की उम्मीद कर रहे हैं.
ऐसे में अभी कुछ दिनों तक मंडियों में तुअर की आवक बढ़ने की संभावना नहीं दिख रही है.
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