बचेंगे एक हजार करोड़ रुपये
कुसुम योजना के तीसरे चरण में एक हजार 250 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का लक्ष्य, कैबिनेट में होगा निर्णय।
25 साल तक सौर ऊर्जा संयंत्र से उत्पादित बिजली खरीदेगी सरकार
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना के तीसरे चरण में मध्य प्रदेश सरकार सात हजार 996 कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करेगी।
इसके लिए एक हजार 250 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी।
इससे ढाई लाख से ज्यादा किसानों के खेतों में पंप से सिंचाई होगी। इससे एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बचेंगे।
दरअसल, सरकार किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सालाना 14 हजार 800 करोड़ रुपये का अनुदान देती है।
इसमें कमी आएगी और किसानों को दिन में बिजली की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
कुसुम योजना के तीसरे चरण के प्रस्ताव पर बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
कुसुम योजना का विस्तार किया जा रहा है
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षमता पांच हजार 100 मेगावाट हो गई है।
इसमें अभी और वृद्धि की संभावना है। इसे देखते हुए कुसुम योजना का विस्तार किया जा रहा है।
पहले चरण 2020-21 में केंद्र सरकार ने राज्य को 300 मेगावाट क्षमता स्थापना का लक्ष्य दिया था।
इसमें से 296 मेगावाट क्षमता स्थापना के लिए प्रस्तावों को आवंटन पत्र जारी किए जा चुके हैं।
वहीं, दूसरे चरण में मुख्यमंत्री सोलरपंप योजना के तहत पचास हजार पंप की स्थापना का लक्ष्य मिला है।
इसमें 23 हजार 500 किसानों ने पंजीकरण कराया है। छह हजार 763 पंप की स्थापना की जा चुकी है।
योजना में केंद्र सरकार तीस और राज्य सरकार भी तीस प्रतिशत अनुदान दे रही है।
अब तीसरा चरण प्रारंभ किया जाना है। इसमें सात हजार 996 कृषि फीडर को सौर ऊर्जा से ऊजीकृत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसके लिए केंद्र ने एक लाख 75 हजार सौर ऊर्जा आधारित कृषि पंप की स्थापना का लक्ष्य दिया है।
सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे बढ़ाकर दो लाख 70 हजार करने का प्रस्ताव दिया है।
तय किया गया है कि कृषि फीडर पर एक हजार 250 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
यह स्वयं, लीज या शासकीय भूमि पर स्थापित किए जाएंगे।
एजेंसी का चयन खुली निविदा के माध्यम से हकया जाएगा। सौर संयंत्र की क्षमता एक उप केंद्र से जुड़े कृषि फीडर पर कुल वार्षिक विद्युत की खपत के आधार पर तय होगी।
संयंत्र से विद्युत उप केंद्र तक पारेषण लाइन की स्थापना एजेंसी स्वयं करेगी या इसके लिए विद्युत वितरण कंपनी की सेवा सशुल्क ली जाएगी।
सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित बिजली 25 साल तक सरकार खरीदेगी।
सस्ती पड़ेगी बिजली
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के अनुसार वर्तमान में सौर ऊर्जा औसत तीन रुपये बीस पैसे प्रति यूनिट में पड़ रही है।
जबकि, ताप विद्युत में यह दर लगभग पांच रुपये 34 पैसे प्रति यूनिट आना संभावित है।
प्रदेश में 18 हजार 423 फीडर पर एक हार्सपावर से दस हार्सपावर क्षमता के लगभग 32 लाख 50 हजार पंप स्थापित हैं।
शासन द्वारा मानक विद्युत के उपयोग के अनुसार 14 हजार 800 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान दिया जा रहा है।
source : naidunia
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