मल्टीलेयर फार्मिंग
मल्टीलेयर तकनीक से खेती करने पर 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है.
जमीन में जब खाली जगह नहीं रहती है, तो खरपतवार भी नहीं होते हैं.
कम जोत वाले किसानों के लिए इस तकनीक से खेती करना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.
किसान 4 तरह की फसलों को एक फसल की सिंचाई से ही उगा सकते हैं.
नई-नई तकनीकों के आने के बाद किसानों के खेती-किसानी पहले के मुकाबले थोड़ी आसान हुई है.
साथ ही, मुनाफे में भी कहीं ना कहीं इजाफा हुआ है.
ऐसी ही एक तकनीक है मल्टी लेयर फार्मिंग, जिसे अपना कर किसान कम वक्त में ही मालामाल हो जाएंगे.
क्या है मल्टीलेयर फार्मिंग?
बता दें कि एक ही समय और स्थान पर 4 से 5 फसलों की खेती करने की विधि को मल्टी लेयर फार्मिंग करते हैं.
इसके लिए किसान पहले जमीन में ऐसी फसल लगाए, जो कि भूमि के अंदर उगती है.
फिर उसी खेत में सब्जी और अन्य पौधों को लगा सकते हैं.
इसके अलावा किसान उसी खेत में छायादार और फलदार वृक्ष भी लगा सकते हैं.
70 प्रतिशत तक पानी का बचत
विशेषज्ञों के अनुसार मल्टीलेयर तकनीक से खेती करने पर 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है.
जमीन में जब खाली जगह नहीं रहती है, तो खरपतवार भी नहीं होते हैं.
एक फसल में जितनी खाद डालते हैं, उतनी ही खाद से एक से अधिक फसलों की उपज मिल जाती है.
फसलों को एक-दूसरे से पोषक तत्व मिल जाते हैं. किसानों का मुनाफा भी कई गुना बढ़ जाता है.
कम जोत वाले किसानों के लिए फायदेमंद
कम जोत वाले किसानों के लिए इस तकनीक से खेती करना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.
किसान 4 तरह की फसलों को एक फसल की सिंचाई से उगा सकते हैं.
ऐसा करने से खेती में उनकी लागत में कमी आएगी और उन्हें ज्यादा जोत की जमीनों की आवश्यकता भी नहीं लगेगी.
मल्टीलेयर फॉर्मिंग में लागत
बहुस्तरायी खेती में लागत बेहद कम आता है. अन्य फसलों के के मुकाबले इसमें समान्य से ही कम खर्च आता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर एक एकड़ में इस तकनीक से खेती करने में किसान को एक लाख रुपये तक की लागत आती है तो किसान आराम से उससे 5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकता है.
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