इस प्रकार चेक करें
खेतों में डाला जानें वाले खाद को किसान साथी कैसे चेक करें की वह असली है नकली…
खरीफ फसलों की कटाई समाप्त हो चुकी है। इन दिनों गेंहू की बुवाई की तैयारियां शुरू हो चुकी है।
फसल की अच्छी पैदावार के लिए बुवाई के समय अधिकतर किसान यूरिया, खाद व डीएपी अपने खेतों में डालते है।
बिना सलाह के ज्यादा से ज्यादा खाद डालने से धरती की उर्वरक क्षमता क्षीण होती है।
किसान को आसमान छूती खाद की कीमतों के बीच नुकसान तब होता है, जब ज्यादा से ज्यादा खाद डालने के बाद भी अच्छी पैदावार नहीं होती है।
डीएपी बोरी में मिलते हैं पत्थर
किसान की अच्छी उपज नहीं होने के पीछे नकली उर्वरक भी जिम्मेदार होता है।
कई बार डीएपी में पत्थर मिले हैं तो यूरिया भी मिलावटी मिली है।
सबसे ज्यादा मिलावट महंगी खादों यानी डाई आमोनियम फास्फेट में होती है।
इन्हें देखकर पहचान करना कई बार आसान नहीं होता, लेकिन अगर किसान थोड़ी सतर्कता बरते तो वो घाटे से बच सकता है।
पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध
रबी फसल की बोवनी के लिए पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध है। किसान अफवाहों पर ध्यान न दें।
खाद की कोई कमी नहीं है। यूरिया (Urea), डीएपी (DAP) , पोटाश (Potas) , एनपीके कम्पलेक्स (NPK complex) और एसएसपी उर्वरकों का भण्डार उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से अपील की है कि वे उर्वरक की जितनी उन्हें आवश्यकता है, वे उतना ही उर्वरक लें।
यूरिया (Urea) को पहचानने की 2 विधियां
पहली विधि – यूरिया के दाने सफेद चमकदार और लगभग समान आकार के कड़े दाने होते हैं।
यह पानी में पूरी तरह से घुल जाती है तथा इसके घोल को छूने पर ठंढा लगता है।
दूसरी विधि – किसान यूरिया को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते है यदि हम आंच तेज कर दें और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ लें यही असली यूरिया है।
किसानों को चाहिए कि वो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर ही उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
डीएपी (DAP) पहचानने की 2 विधियां
पहली विधि – डीएपी असली है या नकली इसकी पहचान के लिए किसान डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डीएपी असली है।
दूसरी विधि – किसान भाइयों डीएपी को पहचानने की एक और सरल विधि है।
यदि हम डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते हैं तो समझ लें यही असली डीएपी है किसान भइयों डीएपी की असली पहचान है।
इसके कठोर दाने ये भूरे काले एवं बादामी रंग के होते है। और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।
सुपर फास्फेट को पहचानने की विधियां
- पोटाश की असली पहचान है इसका सफेद नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण।
- पोटाश के कुछ दानों पर पानी की कुछ बूंदे डालें अगर ये आपस में नहीं चिपकते हैं तो समझ लें कि ये असली पोटाश है।
- एक बात और पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।
- सुपर फास्फेट सुपर फास्फेट की असली पहचान है, इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग के होते है।
- पोटास के कुछ दानों को गर्म करें यदि ये नहीं फूलते हैं तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है।
- ध्यान रखें कि गर्म करने पर डीएपी के दाने फूल जाते हैं, जबकि सुपर फास्फेट के नहीं। इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है।
- सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से नहीं टूटता है।
- इस दानेदार उर्वरक में मिलावट बहुधा डीएपी व एनपीके मिक्सचर उर्वरकों के साथ की जान की आशंका रहती है।
जिंक सल्फेट को पहचानने की विधि
जिंक सल्फेट की असली पहचान ये है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते हैं।
किसान भाइयों जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है।
भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है।
ध्यान रहे डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है।
जबकि डीएपी के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नही होता है।
किसान भाइयों यदि हम जिंक सफेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलायें तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है।
यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्णतया घुल जाता है।
किसान भाइयों इसी प्रकार यदि जिकं सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाए तो अवशेष नहीं घुलता है।
यह भी पढ़े : चना की खेती : बुवाई से पहले इन सुझावों पर अमल करें किसान
यह भी पढ़े : चने के नए बीज से पौधे की ऊंचाई बढ़ेगी, मशीनों से हो सकेगी कटाई
शेयर करें