महाराष्ट्र के लातूर जिले के चाकुर तहसील में रहने वाले किसान संजीव कुमार नामदेव मारपल्ले पहले खरीफ और रबी सीजन की मुख्य फसलों की खेती करते थे, लेकिन मुनाफा नहीं उठा पाते थे.
ऐसे में उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़ एक एकड़ जमीन में गेंदे के फूल की खेती शुरू की.
किसान का कमाल
महाराष्ट्र में भी किसान अब बड़े पैमाने पर पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं.
राज्य का लातूर जिला सूखा प्रभावित एरिया है. किसान पारंपरिक खेती करने के लिए पानी की कमी से परेशान हैं.
ऐसे में किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक खेती को आजमा रहे हैं.
जिससे कम लागत और कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकें.
इस वजह से शुरू हुई गेंदे की खेती
लातूर जिले के चाकुर तहसील में रहने वाले किसान संजीव कुमार नामदेव मारपल्ले के पास कम खेती है.
पहले वो खरीफ और रबी सीजन की मुख्य फसलों की खेती करते थे, लेकिन मुनाफा नहीं उठा पाते थे.
ऐसे में उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर एक एकड़ जमीन में गेंदे के फूल की खेती शुरू की.
गेंदे की फसल सिर्फ 90 दिनों में तैयार हो गई. फूलों की खेती से 2 लाख 80 हजार का मुनाफा हुआ.
मिल रहा है बढ़िया भाव
मारपल्ले ने बताया कि उन्होंने अपने एक एकड़ जमीन में गेंदे के 800 पौधों की लगाए थे.
दो महीने बाद अब इन पौधों में फूल आना शुरू हुआ है. इसकी खेती में लगभग 50000 हजार रुपये का खर्च आया है.
इस समय बाजार में गेंदे के फूल का थोक भाव 40 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. आगे और भी अच्छा भाव मिलने की उम्मीद है.
किसान ने क्या कहा?
मारपल्ले ने बताया कि जिन किसानों के पास कम खेती है वो गेंदा फूल की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पारंपरिक फसलों की खेती छोड़कर दूसरी फसलों की बुवाई भी करनी चाहिए.
मुझे सिर्फ 90 दिनों में एक एकड़ क्षेत्र में गेंदे के फूल से 3,20,000 रुपये मिले हैं.
जिसमें से 50,000 रुपये की लागत निकाल दी जाए तो 2,80,000 रुपये का मुनाफा मिल सकता है.
पारंपरिक खेती में इतना फायदा मिलना नामुमकिन है.