आज हम बात करने वाले है, सन 1971 के एक ग्रेजुएट किसान के बारे में उन्हें सरकारी नौकरी कि बजाये खेती को चुना।
इन्होने सन 1971 में ग्रेजुएशन किया, सरकारी नौकरियों की भरमार थी लेकिन कमल सिंह ने खेती को चुना क्योंकि उस वक्त खेती में ज्यादा मुनाफा था आज 49 साल बाद कमल सिंह का खेती के बारे में क्या कहना है और अब खेती में कितना मुनाफा रह गया है और इनकी क्या स्थिति है इसकी पूरी जानकारी इस वीडियो के माध्यम से खुद कमल सिंह देंगे, क्योंकि कमल सिंह जी ने बहुत लंबा जीवन खेती को दिया है।
कमल सिंह जी ने बताया – कि जब मेने ग्रेजुएशन पुरा किया तब मेरे पास सरकारी नौकरी के काफी चांस थे और 2-3 अपाइटमेंट भी हुई थी, लेकिन मेंने नौकरी ज्वाईन नही किया क्योंकि उस समय खेती मुनाफे का धंधा था और नौकरी खेती कि तुलना मे कम था। इस लिये मैंने खेती के हि उत्तम समझा।
लैकिन अब सरकार कि नीतियां ऐसी हो गई है कि किसान अपनी फसल का भाव खुद तय नही करता उसका भाव सरकार तय करती है जो कि किसान कि लागत के आधार पर नही किया जाता । इसलिये किसान घाटे मे है और किसान का गुजारा करना बडा कठीन हो रहा है।
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