किसानों से दागदार गेहूं खरीदने (चमक विहिन गेहूं) से इनकार कर रही को-ऑपरेटिव सोसाइटियां अब ऐसा नहीं कर सकेंगी। सरकार ने किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए इसमें छूट देने का निर्णय लिया है।
अब प्रदेश में किसानों से 30% तक लेक लस्टर (चमक विहीन) गेहूं खरीदा जा सकेगा। वेयर हाउस में इसे रखे जाने के बाद इसकी क्वालिटी में किसी भी तरह की गिरावट की जिम्मेदारी भी मप्र सरकार की होगी।
क्वालिटी में गिरावट की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की
इस संबंध में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दिए हैं। इसमें सरकार द्वारा खरीदे जा रहे गेहूं में 30% तक लेकलस्टर (चमक विहीन) होने पर भी खरीदा जा सकेगा।
दरअसल इस बार जनवरी में बेमौसम बारिश और कोहरे गेहूं की फसलों पर इसका असर पड़ा है।
मालवा में तो गेहूं की खरीदी शुरू होने पर ही सोसाइटी किसानों से इस तरह का गेहूं खरीदने (चमक विहिन गेहूं) से समितियां इनकार कर रही थी।
कुछ सोसाइटियों ने गेहूं खरीद लिया था जिसे भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने वापस कर दिया था।
इस लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने आपत्ति उठाई थी और सरकार से कहा था कि लेकलस्टर और मामूली दागी गेहूं को भी खरीदा जाए।
किसानों के लिए बड़ी राहत
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सरकार को पत्र द्वारा निर्देशित किया है कि अब बगैर किसी भावों की कटौती के किसानों का बारिश के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदा जाए।
हालांकि इस पर 30% तक का बंधन जरूर लगाया है।
राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि दागी गेहूं में किसानों का कोई नुकसान नहीं हो, ऐसी व्यवस्था करें।
जितना भी गेहूं खरीदा जाए उसे अलग रखकर जल्द से जल्द उसका वितरण किया जाएं।
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