सरकार हर फसल सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेज की सिफारिश पर MSP तय करती है।
यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइस का काम करती है।
यह एक तरह से कीमतें गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।
क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइस?
न्यूनतम समर्थन मूल्य वो गारंटीड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो।
इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर किसानों पर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
सरकार हर फसल सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेज की सिफारिश पर MSP तय करती है।
यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइस का काम करती है।
यह एक तरह से कीमतें गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।
यह भी पढ़े : मिनी स्प्रिंकलर सेट पर मिल रही है भारी सब्सिडी, ऐसे उठाएं लाभ
सरकार प्रतिवर्ष एमएसपी तय करती है
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार प्रतिवर्ष एमएसपी तय करती है। एमएसपी की नई दरें 2024-25 के लिए जारी की गई हैं।
कैबिनेट की बैठक के बाद बुधवार को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि धान के एमएसपी में प्रति क्विंटल 117 रुपये वृद्धि गई है।
अब किसान अपना धान 2300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच सकते हैं। नए एमएसपी पर दो लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे।
MSP में 23 फसलें शामिल हैं
- 7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)
- 5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)
- 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)
- 4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)
यह भी पढ़े : इन कृषि यंत्रो को सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन करें