बरसात के मौसम में पशुओं में कई बीमारियों का खतरा बन रहता है. इस मौसम में उच्च नमी और गंदगी की वजह से संक्रमण और परजीवी रोग काफी तेजी से फैलते हैं.
वहीं कुछ ऐसे भी रोग होते हैं, जो गाय-भैंस और भेड़-बकरी की देखभाल के दौरान पशुपालक या किसान के दौरान बरती गई लापरवाही के चलते होते हैं.
बचाव के घरेलू उपाय
मानसून के मौसम में पशुओं को कई बीमारियों का खतरा होता है. इस मौसम में उच्च नमी और गंदगी की वजह से संक्रमण और परजीवी रोग काफी तेजी से फैलते हैं.
वहीं कुछ ऐसे भी रोग होते हैं, जो गाय-भैंस और भेड़-बकरी की देखभाल के दौरान पशुपालक या किसान के दौरान बरती गई लापरवाही के चलते होते हैं. इन बीमारियों से पशु के दूध और मीट उत्पादन पर असर पड़ता है.
लेकिन मानसून के मौसम में पशुओं को होने वाली कुछ बीमारियां ऐसी होती है, जिनका इलाज केवल डॉक्टर द्वारा ही किया जा सकता है. वहीं कुछ छोटी बीमारियां ऐसी होती है, जिनका इलाज पशुपालक घर में ही कर सकते हैं.
जूं और किलनी की समस्या
मानसून के मौसम में पशुओं को होने वाली सबसे आम समस्याओं में जूं और किलनी का निकलना होता है.
पशुपालक इस बीमारी का इलाज करने के लिए नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से पशु के शरीर पर स्प्रे कर सकते हैं.
इसके अलावा, किसी कपड़े को नीम के पानी में डालकर उस पानी में भीगे कपड़े से पशु को धोना चाहिए.
पशु के जूं और किलनी की समस्या होने पर इस उपाय को कई दिन लगातार करने से इसे आसानी से दूर किया जा सकता है.
जेर का ना गिरने की समस्या
बरसात के मौसम में गाय या भैंस के प्रसव के बाद जेर 5 घंटो के अंदर-अंदर गिर जानी चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता है, तो इससे गाय-भैंस दूध देना बंद कर सकती है.
बच्चे होने के बाद जेर ना गिरे आपको पशुओं के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. साथ ही अपने पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए.
जेर ना गिरने पर आपको खास ख्याल रखना है कि किसी भी हाल में उसपर हाथ ना लगाएं ना ही किसी चीजे से उसे खींचने की कोशिश करें.
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चोट और घाव में कीड़ों की परेशानी
बरसात के मौसम में यदि पशु के चोट लगती या कोई घाव रहता है, तो उसमें कीड़े पड़ सकते हैं, जिससे पशु काफी ज्यादा परेशान हो जाता है.
ऐसे में पशु के शरीर पर कहीं भी कोई भी चोट या घाव दिखने पर तुरंत ही उसे गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश को डालकर उसकी सफाई करनी चाहिए.
यदि घाव में कीड़े हो गए है, तो ऐसे में आपको तारपीन के तेल में पट्टी को भिगोकर चोट वाले हिस्से पर बांध देनी चाहिए.
वहीं अगर मुंह या उसके आस पास के हिससे में कोई घाव या चोट को हमेशा फिटकरी के पानी से धोना चाहिए.
योनि में इंफेक्शन की परेशानी
बरसात के मौसम में गाय-भैंस के साथ योनि में इंफेक्शन की समस्या भी हो सकती है. यह परेशानी तब होती है जब बच्चे को जन्म देने के बाद जेर आधी शरीर के अंदर और आधी बाहर लटक जाती है.
इससे मादा पशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिसके बाद योनि मार्ग से बदबू आने लगती है और योनि से तरल पदार्थ रिसने लगता है.
इस परेशानी में आपको पशुओं के डॉक्टर से सलाह लेने चाहिए और गाय या भैंस के उस हिस्से को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करना चाहिए.
दस्त और मरोड़ की समस्या
बरसात के मौसम में पशुओं को दस्त और मरोड़ की समस्या हो सकती है, इस दौरान वह पलता गोबर करने लगते हैं.
पशु चिकित्सकों के अनुसार, इस तरह की परेशानी पशु को तब होती है, जब उनके पेट में ठंड लग जाती है.
पशु के पेट में ठंड लगने की सबसे आम वजह बारिश के दौरान अधिक हरा चारा खाने से हो सकती है.
बरसात के दौरान पशुओं को हल्का आहार ही देना चाहिए. पशु को आप मानसून में चावल का माड़, उबला हुआ दूध और बेल का गूदा खिला सकते हैं. इसके अलावा, आपको बछड़े या बछड़ी को इस मौसम में दूध कम पिलाना चाहिए.
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