हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

सोयाबीन का भाव MSP से नीचे गिरने से किसान परेशान

WhatsApp Group Join Now
Instagram Group Join Now
Telegram Group Join Now

सोयाबीन मध्‍य प्रदेश की एक प्रमुख फसल है. यहां बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है. सरकार भी किसानों को सोयाबीन की खेती के लिए प्रोत्‍साहि‍त करती है.

इस साल राज्‍य में सोयाबीन का रकबा बढ़ा है, लेकिन मंदसौर में इस बार मामला उलट नजर आ रहा है.

मंदसौर के तीन किसानों ने कम भाव के कारण फसल नष्‍ट कर दी है. वहीं कुछ किसानों ने 8 हजार रुपये समर्थन मूल्य की मांग की है.

 

सरकार से मांगा 8,000 रुपये का सपोर्ट प्राइस

मध्‍य प्रदेश सोयाबीन की खेती के लिए जाना जाता है. इसलि‍ए इसे ‘सोया प्रदेश’ भी कहा जाता है.

सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार सोयाबीन का रकबा बढ़ा है, लेकिन यहां मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ तहसील में सोयाबीन की फसल पर बड़ा संकट मंडरा रहा है.

दरअसल, यहां के किसान सोयाबीन की फसल में इल्लियों और पीले मोजैक के प्रकोप से परेशान हैं, जिसके चलते उन्‍हें कम दाम पर फसल बेचनी पड़ रही है. मल्‍हारगढ़ में कम बारिश ने भी किसानों की समस्या को और बढ़ा दिया है. 

 

तीन किसानों ने नष्‍ट की फसल

‘फ्री प्रेस जर्नल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में तीन ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां किसानों ने अपनी खड़ी फसल नष्‍ट कर दी. पिछले हफ्ते एक किसान ने अपनी 7 एकड़ से अधि‍क खड़ी सोयाबीन की फसल पर ट्रैक्‍टर चला दिया था.

किसान अपनी पुरानी फसल को मंडी में बेचने गया था, जिसका उसे कम दाम मिला. इसके बाद किसान ने खेत में लगी फसल को ही नष्‍ट कर दिया. 

कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने इसका वीडियो शेयर करते हुए एक्‍स पर पोस्‍ट किया था और राज्‍य सरकार को समर्थन मूल्य के मुद्दे पर घेरा था.

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी पलटवार करते हुए इसका जवाब दिया था.

 

8 हजार रुपये समर्थन मूल्‍य की मांग की 

वहीं, क्षेत्र के किसान भरत सोलंकी और नाथूलाल पाटीदार ने कहा कि खेती घाटे का सौदा बन गई है. अक्सर उनकी फसलें कीटों या प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद हो जाती हैं.

किसानों ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कि इस साल सोयाबीन का रकबा बढ़कर 125.11 लाख हेक्टेयर हो गया है.

ऐसे में सोयाबीन के लिए 8,000 रुपये का समर्थन मूल्य दिया जाना चाह‍िए.

यह भी पढ़े : सोयाबीन भाव को लेकर किसानों का विरोध रंग ला रहा