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सोयाबीन के दाम गिरने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीर

1 सितंबर से आंदोलन

सोयाबीन की फसल के दाम गिरने से एमपी के किसान चिंता में है वहीं किसानों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।

किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि 1 सितंबर से वे आंदोलन की राह पर जा रहे है।

किसानों का कहना है कि सोयाबीन फसल का दाम उन्हें दस साल पहले जैसे ही मिल रहे है।

 

प्रत्येक गांव में ग्राम पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रमुख रंजीत किसान वंशी के मुताबिक सोयाबीन फसल के भाव की मांग को लेकर मध्यप्रदेश में एक बड़े आंदोलन की रुपरेखा तैयार कर ली गई है।

इसके पहले चरण के तहत सितंबर के प्रथम सप्ताह में प्रत्येक गांव में ग्राम पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।

उन्होंने बताया इस आंदोलन की रूपरेखा मध्य प्रदेश के सभी किसान संगठनों और सोयाबीन उत्पादक संघों के द्वारा तय की गई है।

इसी के तहत सभी किसान अपने अपने ग्राम पंचायत पर सितंबर के प्रथम सप्ताह  सोयाबीन के दाम 6000 रु करो विषय पर ज्ञापन देंगे।

8 और 9 तारीख को भोपाल में  बैठक इसके बाद 8 और 9 तारीख को भोपाल में प्रदेश के किसानों की बैठक आयोजित होगी और आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता राहुल राज ने बताया कि बीते कई वर्षों से अतिवृष्टि के कारण किसान सोयाबीन में नुकसान उठाता आ रहा है। फिर भी देश को तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसान ने सोयाबीन बोना नहीं छोड़ा।

खाद्यान्न तेल में आयात और निर्यात की नीति किसान हितैषी ना होते हुए कॉर्पोरेट हितैषी है। इसलिए जब हमारी फसल पककर बाजार में जाती हैं तब निर्यात रोक दिया जाता है और आयात खोल दिया जाता है।

ऐसे में दाम गिर जाते हैं जो की सही प्रचलन नहीं है। सरकार को गंभीरतापूर्वक किसानों के हित में आयात और निर्यात नीति पर काम करना होगा।

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सोयाबीन का भाव 6000 प्रति क्विंटल करना चाहिए

आज सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 है। इस दाम में वर्तमान महंगाई जहां  खाद, बीज, कीटनाशक, लोहा सहित तमाम कृषि संसाधन महंगा होने पर किसान की लागत पूरी तरह निकलना संभव नहीं।

इसलिए सोयाबीन के समर्थन मूल्य पर 110 रुपए का अतिरिक्त बोनस देते हुए राज्य सरकार को सोयाबीन का भाव 6000 प्रति क्विंटल करना चाहिए।

सोयाबीन के भाव को 6000 प्रति क्विंटल करने की इस मुहिम से पूरे प्रदेश का किसान जुड़ रहा है और तेजी के साथ यह मुद्दा गांव गांव तक पहुंच रहा है।

ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार किसानों की इस वाजिब मांग की गंभीरता को समझते हुए तत्काल निर्णय और किसानों के हित में सोयाबीन का भाव 6000 प्रति क्विंटल करे।

आगामी दिनों में 1 से 7 सितंबर तक पंचायत स्तर पर सरपंच एवं सचिवों को मुख्यमंत्री के नाम इस मांग को लेकर के ज्ञापन दिए जाएंगे।

मांग समय से पूरी न होने पर आगे की रणनीति पर विचार कर इस मुहिम को प्रदेश व्यापी और तेज धार दी जाएगी।

 

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