रोगों से बचाव की सलाह
कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन फसल को कीड़े व रोगों से बचाव हेतु किसानों को सलाह दी गई है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा बताया गया कि लगातार वर्षा होने के कारण सोयाबीन फसल को मुख्य रूप से तनामक्खी कीट, चने की इल्ली तथा सेमीलूपर से नुकसान होता है।
किसान भाई खेत की सतत देखरेख करते रहें। कीट एवं रोग दिखाई देने पर तुरंत अनुशंसित कीटनाशकों एवं रसायनों का छिडकाव करें।
तनामक्खी के नियंत्रण हेतु बीटासाइफ्लूथिन 8.49 प्रतिशत के साथ इमिडाक्लोप्रिड 19.81 प्रतिशत ओ.डी.140 मिली/ एकड़ या लेम्बडासाइलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत के साथ थायोमिथाक्सॉम 12.6 प्रतिशत जेड.सी. 80 मिली/ एकड या नोवाल्यूरॉन 5.25 प्रतिशत के साथ ईमामेक्टिन बेन्जोएट 0.9 प्रतिशत एस.सी. 250 मिली/एकड़ या फ्लूबेन्डामाईड 39.35 प्रतिशत एस.सी. 60 मिली प्रति एकड़ या क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस.सी. 40 मिली प्रति एकड़ का छिडकाव करें।
नियंत्रण के लिए सलाह
पीला मोजेक रोग एवं सोयाबीन मोजेक के नियंत्रण के लिए सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा रोगों का फैलाने वाले वाहक जैसे सफेद मक्खी एवं एफिड की रोकथाम के लिए कीटनाशक थायोमिथाक्सॉम/ लेम्बडासाइलोथ्रिन (125 ली./ हे.) या बीटासाइफ्लूथिन/ इमिडाक्लोप्रिड (350 ली./हे.) का छिडकाव करें।
सोयाबीन फसल में सेमीलूपर के नियंत्रण के लिए रेनेक्सीपायर 0.10 ली./हे. या प्रोपेनोफॉस 1.25 ली./हे. या इन्डोक्साकार्ब 14.50 एस.पी. 0.50 ली./हे. या रेनेक्सीपायर 20 एस.सी. 0.10 ली./हे. का छिडकाव करें।
अधिक जानकारी के लिए अपने स्थानीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी अथवा कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से अवश्य संपर्क करें।
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