मई माह में किये जाने वाले खेती-बड़ी के काम
- खाली खेतों में गर्मी की जुताई करें|
- भू व जल संरक्षण हेतु मेढ़बंदी एवं अन्य कार्य करें| मेढ़ों की सफाई करें ताकि खरपतवार एवं कीट प्रकोप पर नियंत्रण किया जा सके|
- धान की नर्सरी लगाने हेतु खेत की तैयारी करें| बीज को कार्बेन्डाजिम50 प्रतिशत डब्लू.पी. की 3 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीज उपचारित करें| इसके बाद पी.सी.बी. की 5 ग्राम तथा येजेटोबैक्टर कल्चर की 5 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीज से उपचारित करके बोयें| खासतौर पर देर प्र मध्यम अवधि वाली किस्मों को बोएं| जल्दी पकने वाली किस्मों की 20 से 25 दिन आयु की, मध्यम के लिए 25 से 30 दिन की और देर से पकने वाली किस्मों की 35 से 40 दिन आयु के पौधों की रोपाई करें| जितने क्षेत्र में धान लगाना हो उसके 1/10 भाग में नर्सरी लगाएं |
- धान फसल की कतार बोनी हेतु खेत तैयार करके रखें ताकि प्रथम वर्षा होते ही कतार बोनी की जा सके|
- ग्रीष्मकालीन मूंग, उड़द, मूंगफली फसलों में निदाई, गुडाई कार्य करें एवं प्रतेक सप्ताह सिंचाई आवश्यक करें|
- ज्वार और मक्का में नाइट्रोजन उर्वरक दें|
- बसंतकालीन गन्ने की फसल में कल्ले निकलने की अवस्था पर सिंचाई देकर नत्रजनीय उर्वरक यूरिया की एक तिहाई मात्रा टाप ड्रेसिंग करें| खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें| पर्ण वलगी (पायरिल्ला) कीट का नियंत्रण करें|
दलहन व तिलहनी
- दलहन व तिलहनी फसलों में फास्फोरस के लिए सिंगल सुपर फास्फेट खाद का प्रयोग करें ताकि इन फसलों में गंधक (सल्फर) की कमी न हो और बेहतर गुणवत्ता की भरपूर उपज प्राप्त हो| 90 प्रतिशत दानेदार गंधक का उपयोग कर सकते हैं|
- अरहर की बुआई के लिए बिरसा अरहर 1, बहार, आय सी पो एच 2671 इन किस्मों की अनुशंषा की जाती है|
- मई मास सिंचित क्षेत्र में कपास की बुवाई का मुख्य समय है| आवश्यकतानुसार नत्रजन के अलावा फास्फोरस, पोटाश व जिंक के उपयोग पर विशेष ध्यान दें| परन्तु ध्यान रहे जिंक और फास्फोरस की खादों को मिलाकर नहीं दें , अन्यथा जिंक से पूरा लाभ प्राप्त नही होगा|
- हरे चारे हेतु हरे चारे की फसलों (ज्वार, मक्का, लोबिया, सूडान ग्रास आदि) की बुवाई करें| ग्रीष्मकालीन / जायदा मौसम में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें|
कटाई
- ग्रीष्मकालीन / जायदा मूंग व उड़द की फसल पककर तैयार हो गई हो तो फलियों की तुडाई करें ताकि चटकने से नुकसान न हो|
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