अभी देश में कई स्थानों पर किसानों के द्वारा जायद मूंग की खेती की जा रही है। ऐसे में जिन किसानों ने इस बार हैप्पी सीडर से मूंग की बुआई की है वहां इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
इस कड़ी में एमपी के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के आयुक्त सह संचालक एम शैल्वेंद्रम ने जबलपुर प्रवास के दौरान शहपुरा विकासखंड के ग्राम किसरोद में किसान कैलाश पटेल द्वारा हैप्पी सीडर के माध्यम से की गई मूंग की बोनी का अवलोकन किया।
बताये कई फायदे
इस दौरान उन्होंने पराली प्रबंधन योजना के तहत जबलपुर जिले में किये जा रहे इस नवाचार की जमकर तारीफ की तथा ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसे अपनाने के लिये प्रेरित करने पर जोर दिया।
बता दें कि एमपी का जबलपुर जिला हैप्पी सीडर से ग्रीष्म कालीन फसलों की बुआई के मामले में प्रदेश में अव्वल है।
कृषि अधिकारियों द्वारा किये जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप यहाँ कई किसानों ने गेहूँ कटने के बाद नरवाई जलाये बिना हैप्पी सीडर से ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की बुआई की गई है।
हैप्पी सीडर से बुआई से समय और पानी की हो रही है बचत
किसान कैलाश पटेल ने कृषि आयुक्त को जानकारी देते बताया कि हैप्पी सीडर मशीन से मूंग की बोनी करने पर पूर्व में लगने वाले समय से लगभग सात दिनों की बचत हुई है और बीज भी कम मात्रा में लगा है।
पहले फसल को हर सप्ताह पानी देना होता था लेकिन अब अब पंद्रह दिन में एक बार खेत की सिंचाई करनी पड़ती है।
वहीं आयुक्त कृषि ने इस मौके पर किसान कैलाश पटेल को कृषि भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अगली बार धान एवं गेहूं की बोनी भी हैप्पी सीडर से करने की सलाह दी।
हैप्पी सीडर से बुआई करने के फायदे
इस अवसर पर परियोजना संचालक आत्मा डॉ. एस के निगम ने बताया कि हैप्पी सीडर द्वारा बोनी करने से भूमि में एक्टीनोमाइटिज एवं अन्य लाभदायक जीवों की संख्या में वृद्धि होती है और कीट रोग का प्रकोप भी कम हो जाता है।
उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर से बुआई से पूर्व में ली गई फसल के अवशेष अगली फसल के लिये जैविक खाद का काम करते हैं। पहली फसल के अवशेष दूसरी फसल के लिये मल्चिंग का काम भी करते हैं।
इससे पानी के वाष्पन की गति धीमी होती है तथा मिट्टी में निरंतर नमी बनी रहने के कारण फसल की सिंचाई में पानी काफी कम मात्रा में लगता है।
उप संचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने कृषक कैलाश पटेल के खेत में डाले गये कंट्रोल प्लाट से प्रदर्शन प्लाट का अंतर दिखाते हुए तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया।
अनुविभागीय अधिकारी कृषि पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी ने बताया कि पाटन अनुविभाग में लगभग 30 कृषकों के पास मशीन उपलब्ध है। इससे लगभग 2 से 3 हजार एकड़ में ग्रीष्म कालीन फसल की बोनी की गई है।
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