वर्तमान मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेतों की लगातार निगरानी रखें। बार-बार डोरा/कुलपा चलाएं. डोरा/कुलपा चलाने से फसलों का श्वसन होगा तथा नमी भी संरक्षित होगी।
फि़लहाल इंदौर जिले में फसलों की स्थिति अच्छी है। कीट व्याधि दिखाई देने पर उनका तुरंत उपचार करें। कृषि विभाग ने यह सलाह किसानों को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है।
कीट एवं इल्लियों पर नियंत्रण : इस संबंध में उप संचालक कृषि कार्यालय इंदौर द्वारा किसानों को सलाह दी गई है, कि वे पोटेशियम नाईट्रेट (1 प्रतिशत) या ग्लिसरांल/ मैग्नेशियम कार्बोनेट (5 प्रतिशत) में से किसी एक का छिड़काव करें।
सोयाबीन की फसल में यदि प्रारंभिक अवस्था में क्षति पहुंचाने वाले कीट /इल्लियां जैसे-लीनसीड केटरपिलर, हरी अर्धकुण्डलक इल्लियों का प्रकोप होने पर जैसे-क्वीनालफॉस 25 ई.सी. 1500 एम.एल./प्रति हेक्टर या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. 300 एम.एल./प्रति हेक्टर या फ्लूबेन्डीयामाईड 39.35 एस.सी. 150 एम.एल./प्रति हेक्टर या फ्लूबेन्डीयामाईड 20 डब्ल्यू.जी. 250-300 एम.एल./प्रति हेक्टर या स्पायनोटेरम 11.7 एस.सी. 450 एम.एल./प्रति हेक्टर किसान उक्त कीटनाशक का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर किसी एक कीटनाशक का छिडकाव करें।
सोयाबीन की पत्ती खाने वाली इल्लियां, सफेद मक्खी का प्रकोप यदि फसल पर है, तो बीटासायफ्लूथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड 350 एम.एल. प्रति हेक्टर या थायमिथाक्सम लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 एम.एल. प्रति हेक्टर, किसी एक कीटनाशक का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इस उपाय से तना मक्खी का भी रोकथाम किया जाता है।
विभिन्न रोगों का उपचार : जिन ग्रामों/स्थानों पर यदि गर्डल बीटल का प्रकोप शुरू हो गया हो, वहां पर गर्डल बीटल के रोकथाम हेतु थाइक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 650 एम.एल. प्रति हेक्टर या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हेक्टर या ट्रायजोफॉस 40 ई.सी. 800 एम.एल. प्रति हेक्टर की दर से किसी एक कीटनाशक का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
यलो मोजाइक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन हेतु खेत में यलो स्ट्रीकी टेप का उपयोग करें।
जिससे सफेद मक्खी के वयस्क नर नष्ट हो जाते है। साथ ही यलो मोजाइक से ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देें। यलो मोजाइक तीव्र गति से फैलने पर थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यू.जी. 100 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
जड़ गलन रोग के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाझोल 625 एम.एल. प्रति हेक्टर या टेबूकोनाझोल सल्फर 1250 एम.एल. प्रति हेक्टर अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 प्रतिशत ई.सी. 500 एम.एल. प्रति हेक्टर या पायरोक्लोस्ट्रीबिन 20 प्रतिशत डब्ल्यूडब्ल्यू.जी 375-500 एम.एल. प्रति हेक्टर, किसी एक का छिड़काव करें।
source : krishakjagat
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