केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे किसानों के लिए 6 सूत्र हैं जिन पर हम काम कर रहे हैं।
जिसमें किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराना, उत्पादन लागत कम करना, सस्ता लोन उपलब्ध कराना, फूड प्रोसेसिंग, एक्सपोर्ट बढ़ाना, कृषि का विविधीकरण एवं प्राकृतिक खेती आदि शामिल हैं।
किसानों की आमदनी
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटना में कृषि भवन में किसानों के साथ परिचर्चा की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है, हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम देश के किसानों का कल्याण कर सकें।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमारे किसानों के लिए 6 सूत्र हैं जिन पर हम काम कर रहे हैं।
जिसमें किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराना, उत्पादन लागत कम करना, सस्ता लोन उपलब्ध कराना, कृषि का विविधीकरण एवं प्राकृतिक खेती आदि शामिल हैं।
किसानों को उपलब्ध कराये जाएंगे अच्छे बीज
कृषि मंत्री ने 6 सूत्रों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे बीज होना चाहिए। फल, सब्जी, अनाज, दलहन, तिलहन के अच्छे बीज जरूरी हैं।
मुझे खुशी है कि 65 फसलों की 109 प्रजातियों के बीज प्रधानमंत्री ने किसानों को समर्पित किये हैं। इसमें धान की किस्म है जिसमें 30% कम पानी लगता है।
बाजरे की एक किस्म है जिसकी फसल 70 दिन में आ जाती है। ऐसे बीज हैं जो जलवायु के अनुकूल हैं।
बढ़ते तापमान में भी अच्छा उत्पादन देते हैं। किसानों को यह बीज जल्द ही उपलब्ध कराये जाएँगे।
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उत्पादन लागत कम करना और सस्ता लोन उपलब्ध कराना
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उत्पादन की लागत घटाना हमारा दूसरा संकल्प है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसानों को बहुत मदद मिलती है।
किसान क्रेडिट कार्ड – केसीसी से खाद के लिए सस्ता लोन मिल जाता है। तीसरी चीज है उत्पादन के ठीक दाम मिल जाएँ।
यहाँ का मखाना धूम मचा रहा है। मखाना एक्सपोर्ट क्वालिटी का पैदा हो रहा है।
चीजें एक्सपोर्ट होती है तो किसान को ज्यादा फायदा होता है। इससे जुड़ा कार्यालय बिहार में आये, इसके लिए मैं प्रयास करूंगा।
कृषि विविधीकरण
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है। परंपरागत फसलों के साथ ही ज्यादा पैसे देने वाली फसलों को बढ़ावा देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग आखिर हम कब तक करेंगे। इससे उर्वरक क्षमता भी कम होती है और जो उत्पादन होता है, उनका शरीर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
आजकल केंचुए गायब हो गए हैं। खाद डालकर उनका समापन ही कर दिया। केंचुआ 50-60 फीट जमीन के नीचे जाता है, ऊपर आता है, इससे जमीन उर्वरक रहती है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती का मिशन शुरू हो रहा है। इससे उत्पादन घटेगा नहीं, बढ़ेगा।
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