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एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड का लाभ छोटे किसानों तक पहुँचाया जाए : कृषि मंत्री

एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का लाभ

कोविड-19 महामारी के चलते देशको हुए आर्थिक नुकसान से उभारने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के तहत कई योजनाओं की घोषणा की गई थी । जिसमें से किसानों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना है।

मुख्यमंत्रियों व राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बैठक में विस्तृत चर्चा की। इस दौरान श्री तोमर ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से देश के 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे व मझौले किसानों तक पूरा फायदा पहुंचना जरूरी है।

 

मध्यप्रदेश में एग्री इंफ्रा फंड के तहत दिए जाएंगे 7 हजार करोड़ रुपये

प्रदेश के लिए कृषि अधोसंरचना कोष में 7 हजार करोड़ का लक्ष्य निर्धारित है। योजना के तहत कृषि विभाग की तरफ से राज्यस्तरीय निगरानी समिति और जिलास्तरीय निगरानी समितियों के गठन, कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) को आंदोलन के रूप में विस्तारित करने का लक्ष्य है। निर्धारित मापदंडों के मुताबिक 263 जिलास्तरीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) और 54 विपणन समितियों को चिन्हित कर लिया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश में उन्नत सीडग्रेंडिंग प्लांट, वेक्यूम व्हीट पैकिंग यूनिट, वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला विकसित होगी।

 

मध्यप्रदेश में एक जिला एक पहचान के अंतर्गत विभिन्न जिलों में सब्जियों और फलों के उत्पादन की अधिकता का लाभ लेते हुए प्रोसेसिंग यूनिट विकसित होंगी। वर्तमान में उत्पादन अधिक हो जाने से उत्पाद की कीमत कम हो जाने की स्थिति में किसान लाभान्वित नहीं हो पाता।

उद्यानिकी विभाग की ओर से पैकहाउस, कोल्डरूम, इंटेग्रेटेड हाउस, इंटेग्रेटेड कोल्ड चेन सप्लाई, मोबाइल प्रोसेसिंग यूनिट, सॉर्टिंग एण्ड ग्रेडिंग के प्रकरण तैयार किए जा रहे हैं।

 

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क्या है एग्री इंफ्रा फंड….?

एग्री इंफ्रा फंड की योजना अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से वित्तीय वर्ष 2029 (10 वर्ष) तक होगी। यह स्कीम किसानों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पाद संगठन, कृषि उद्यमियों आदि को सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों और फसलोपरांत कृषि मूलभूत संरचना के निर्माण में सहायता प्रदान करेगी।

इसके तहत 2 करोड़ रू. तक के ऋण के लिए सीजीटीएमएसई योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज और 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से की ब्याज छूट के साथ ऋण के रूप में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रू. दिए जाएंगे। योजना के दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। एक पोर्टल भी खोला गया है।

इसमें अधिकतम दो करोड़ रुपये की ऋण राशि के प्रकरण में वार्षिक ब्याज दर में 3 प्रतिशत की छूट रहेगी। यह छूट अधिकतम 7 साल के लिए होगी। क्रेडिट गारंटी के अंतर्गत अधिकतम 2 करोड़ की ऋण राशि पर प्रति प्रकरण क्रेडिट गारंटी शुल्क आवश्यक राशि का भुगतान सरकार करेगी।

योजना में प्राथमिक कृषि साख समितियों, किसान उत्पादक समूहों, स्वसहायता समूहों, कृषि उद्यामियों, स्टार्टअप और बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों के साथ ही केन्द्रीय/राज्य एजेंसियां या सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) परियोजना को पात्र माना गया है। सम्मिलित प्रयासों से भारत को विश्व की फूड मार्केट बनाने का प्रयास है।

 

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