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केंचुआ खाद किसानों के लिए है वरदान, इसे बनाने की वैज्ञानिक विधि

किसानों के लिए केंचुआ खाद काफी उपयोगी साबित हो रहा है. इसके इस्तेमाल से किसान की आय व पैदावार दोनों में बढ़ोतरी हो रही है.

आज हम अपने इस लेख में केंचुआ खाद बनाने की वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, जिसके इस्तेमाल से आप मिनटों में इसे तैयार कर सकते हैं.

 

केंचुआ खाद

वर्मी कम्पोस्टिंग (केंचुओं की खाद) कृषि व्यर्थ पदार्थों को केंचुओं का उपयोग करके कम्पोस्ट खाद/ Compost Manure में बदलने की प्रक्रिया है.

यह फसलों की वृद्धि तथा विकास के लिये आवश्यक स्थूल तथा सूक्ष्म तत्वों को प्रदान करती है. यह एक आदर्श प्राकृतिक खाद है, जो मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को और अधिक बेहतर बनाती है.

ऐसे में आइए आज के इस लेख में वर्मी कम्पोस्टिंग/ केंचुआं खाद के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं.

साथ ही केंचुआ खाद बनाने की वैज्ञानिक विधि/Scientific method of Making Earthworm Compost क्या है इसके बारे में भी आइए जानते हैं…

 

वर्मी कम्पोस्ट बनाने योग्य पदार्थ

  • दो सप्ताह पुराना गोबर
  • कीडों द्वारा नष्ट फल और सब्जियां
  • फलों और सब्जियों के छिलके
  • फसलों की पत्तियां व डंठल
  • घास-फूंस आदि

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वर्मी कम्पोस्ट बनाने वाली केंचुओं की प्रजातियाँ

  • आइसीनिया फेटिडा (लाल केंचुये)
  • यूड्रिलस यूजिनी (अफ्रीकन नाइट क्राउलर)
  • पेरियोनिक्स एक्सावेट्स (नीले केंचुये)

अधिकांश तौर पर वर्मी कम्पोस्ट के लिए आइसीनिया फेटिडा का प्रयोग किया जा रहा है. जिसे लाल के बाद मटमैली पट्टियों से पहचाना जा सकता है.

यह केंचुआ 20-25 ° सें.ग्रे. तापमान पर बहुत अच्छी बढ़वार करता है और 2-3 महीनों में अपनी संख्या दोगुनी कर लेता है.

 

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की तकनीक

वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए क्यारियां किसी भी छायादार स्थान के लिए कच्ची या पक्की भूमि पर बनाई जा सकती हैं.

इनकी लंबाई व चौड़ाई अपनी आवश्यकतानुसार छोटी या बड़ी हो सकती है.

  • प्रत्येक क्यारी की निचली सतह पर 1 से 2 इंच मोटी बालू या रेतीली मिट्टी बिछाएं.
  • उसके ऊपर 3 से 4 इंच गेहूँ या चावल का भूसा बिछाए.
  • इसके ऊपर 8 से 12 इंच तक गोबर (10-15 दिन पुराना) फैला दें.
  • तत्पश्चात 4 से 6 इंच तक जिस वस्तु विशेष (जैसे पादप व्यर्थ पदार्थ आदि) जिसे आप वर्मीकम्पोस्ट में परिवर्तित करना चाहते हैं, उसे छोटे-छोटे भागों में काट कर गोबर के ऊपर बराबर से बिछा दें.
  • बयारी (बेड) को एक वर्ग मी. में 1000 प्रौढ़ केंचुए डालकर जूट के बोरों से ढक देना चाहिए. 6. फिर क्यारी में बोरी या टाट के ऊपर फव्वारे से अच्छी तरह पानी दें.नमी लगभग 40-60 प्रतिशत होनी चाहिए. इसके लिए शीतकाल में दिन में एक बार, ग्रीष्मकाल में दिन में 2-3 बार तथा वर्षा काल में 2-3 दिन में एक बार अवश्य पानी दें.
  • 2-3 माह बाद केंचुए की खाद तैयार हो जाती है और यह प्रयोग में लाई गई चाय की पत्ती के रंग में बदल जाती है.
  • वर्मीकम्पोस्ट को इकट्ठा करने से 3-4 दिन पहले पानी छिड़कना बंद कर दें और उसकी सतह को सूखने दें. सूखने के बाद उसे इकट्ठा कर छान (2.5 मि.मी. जाली से) लें.
  • केंचुओं को इकट्ठा करके वापस नई क्यारी में डाल दें .
  • कम्पोस्ट का संग्रह पॉलीथीन या प्लास्टिक की बोरी में भरकर छाया वाले स्थान पर ही करें.
  • दो गड्ढों (6 मी. x 1 मी.) से लगभग 1 टन केंचुए की खाद प्राप्त हो जाती है.

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