गेहूं की कीमतों में होगा और इजाफा
किसानों को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में कीमतों में और इजाफा होगा और गेहूं का भाव 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है.
फिलहाल किसान 2100 से लेकर 2500 रुपए तक के भाव पर बिक्री कर रहे हैं.
इस समय देश के ज्यादातर हिस्सों में गेहूं तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक भाव पर बिक रहा है.
निर्यात के लिए हो रही खरीद का फायदा किसानों को मिल रहा है. सामान्य तौर पर गेहूं कटाई सीजन में दाम गिर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण निर्यात के लिए बने नए मौकों से दाम में बढ़ोतरी हुई है. बढ़े हुए दाम के बीच किसान पैदावार स्टॉक करने लगे हैं.
उन्हें उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में कीमतों में और इजाफा होगा और गेहूं का भाव 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है.
फिलहाल किसान 2100 से लेकर 2500 रुपए तक के भाव पर बिक्री कर रहे हैं. सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए गेहूं की एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विंटल तय की है.
कीमतों में इजाफा
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान गेहूं स्टॉक करने पर जोर दे रहे हैं. उन्हें दाम बढ़ने की पूरी उम्मीद है.
किसानों का भी कहना है कि कीमतों में इजाफा की पूरी संभावना है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में पंजाब कृषि विभाग के आंकड़ों के हवाले से लिखा गया है कि राज्य के कई जिलों में उत्पादन और मंडियों में हुई बिक्री में भारी अंतर है.
इसे स्पष्ट होता है कि किसान अधिक कीमत की चाह में भंडारण कर रहे हैं.
पैदावार को रोक कर रख रहे हैं किसान
कृषि विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फजिल्का में गेहूं उत्पादन में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन बिक्री में 31 प्रतिशत की कमी देखी जा रही है.
मुक्तसर, बठिंडा, मोगा, मानसा, फिरोजपुर और फरीदकोट जिले से भी ऐसी ही रिपोर्ट सामने आई है.
मुक्तसर के मुख्य कृषि अधिकारी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि ऐसा लग रहा कि किसान पूरी की पूरी पैदावार नहीं बेच रहे हैं.
आने वाले दिनों में दाम बढ़ने की चाह में गेहूं को रोका जा रहा है. हालांकि यह सिर्फ वहीं किसान कर रहे हैं, जिनके पास सुरक्षित भंडारण की पूरी व्यवस्था है.
किसानों में उम्मीद जगी है
मालवा क्षेत्र के प्रमुख व्यापारी राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती हुई मांग से किसानों में उम्मीद जगी है.
दाम बढ़ने की संभावना से किसान पूरे गेहूं की बिक्री नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किसानों ने सरसों के साथ भी ऐसा ही किया था.
पिछले साल सरसों की कीमत कई मंडियों में 9000 रुपए तक पहुंच गई थी.
शुरू से ही दाम बढ़ता देख किसानों पैदावार रोक ली, जिनका लाभ उन्हें कीमत बढ़ने के बाद मिला.
source : tv9hindi
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