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प्राकृतिक तरीके से एक एकड़ में केले की खेती से किसान ने कमाए लाखों रुपये

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खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए किसानों के द्वारा नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं।

इस कड़ी में छिन्दवाड़ा जिले के हरई ब्लॉक के भुमका गाँव में रहने वाले किसान पूरनलाल इनवाती प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

दरअसल आज के समय में प्राकृतिक खेती से प्राप्त होने वाली उपज की माँग बढ़ी है, जिसको देखते हुए किसान पूरनलाल ने प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती की शुरुआत की।

उन्होंने टिश्यू कल्चर से तैयार जी-9 किस्म का केला लगाया। बड़ी मात्रा में केलों का उत्पादन कर पूरनलाल ने इस साल मात्र एक एकड़ में की गई केला पैदावार बेचकर 4 लाख रूपये कमा लिये हैं।

 

प्राकृतिक पद्धति से मिलने वाली उपज के मिल रहे हैं अच्छे भाव

किसान पूरनलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके खेत का केला जबलपुर मंडी में “छिन्दवाड़ा का केला” नाम से प्रसिद्ध हो गया है।

सामान्य केला जहाँ 15 से 18 रूपये प्रति किलो बिकता है। वहीं उनका प्राकृतिक पद्धति वाला केला 25 रूपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है।

 

किसान पूरनलाल इन फसलों की भी कर रहे हैं खेती

पूरनलाल प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती के अलावा जहाँ बैंगन, टमाटर, मक्का की फसल ले रहे हैं, वहीं उन्होंने अपने खेत में आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रेगन फ्रूट, नीबू, संतरा और काजू के पौधे भी लगाये हैं।

पूरनलाल ने अपने खेत में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम (टपक सिंचाई पद्धति) लगा रखी है। वह अपनी फसल के अवशेषों का समुचित प्रबंधन कर इससे खाद भी पैदा कर रहे हैं।

यही खाद इनकी फसल के लिये अमृत का काम कर रही है। इससे उनके खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है। साथ ही मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ रही है।

किसान पूरनलाल प्राकृतिक खेती के अलावा कड़कनाथ मुर्गा पालन, बकरी पालन के साथ मछली पालन व्यवसाय भी कर रहे हैं।

खेती की लगभग हर विधा को पूरनलाल ने अपना लिया है। पूरनलाल के पास कुल 6 एकड़ कृषि भूमि है।

इसमें समन्वित तरीके से विभिन्न प्रकार के फलों व सब्जियों की पैदावार एवं लाईव कैश क्रॉप लेकर वे एक साल में तकरीबन 10 लाख रूपये की कमाई कर रहे हैं।

आसपास के किसान भी पूरनलाल से परामर्श लेकर अब प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

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