बार-बार लगने वाले लॉक डाउन को देखते हुए किसान परिवारो ने बनाई देसी पद्धति से दाले
क्षेत्र में आज भी कई परिवार पारंपरिक रूप से वर्ष भर की खाने पीने की व्यवस्था उपज के दौरान प्राप्त करते हैं |
ऐसे ही मामले में खेतों में महिला कृषक तुवर मूंग उड़द राम बटला आदि का उत्पादन करके समय-समय पर उनकी दाल बना कर एकत्रित करके रख लेते हैं जिसे वर्षभर उपयोग लिया जाता है |
वर्तमान में तुवर एवं चना दाल अधिकतर घरों में बनाई गई है | आज भी गांव में ऐसे कई घर है जिन्होंने बाजार से कोई दाल नहीं खरीदी घर पर ही पूर्ति हो जाती है |
महिला कृषक रुचि लेकर छोटे-छोटे रकबे में राई जीरा सौंफ धनिया भी लगा कर ईश्वर की पूर्ति कर लेती है वर्तमान में गांव में दाल बनाने का सिलसिला जारी है |
– सुनील योगी
यह भी पढ़े : गेहूं की सरकारी खरीद जोरों पर
शेयर करे