जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए जैव विविधता का रखा ध्यान
जैव विविधता को लेकर कोई किसान भी पुरस्कार प्राप्त कर सकता है।
यह खरगोन के जैविक खेती को बढ़ावा देने वाले अविनाश दांगी ने कर दिखाया है।
अविनाश दांगी को राज्य स्तरीय वार्षिक जैव विविधता पुरस्कार-2020 के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में प्रथम पुरस्कार के लिए चयन किया गया है।
बिस्टान के अविनाश दांगी मूल रूप से वर्ष 2001 से शुरूआत में 5 एकड़ से जैविक खेती प्रारंभ की थी।
आज के दौर में उन्होंने अपने 25 एकड़ के खेत में पूरी तरह जैविक खेती प्रारंभ की है।
इतना ही नहीं इस जैविक खेती के लिए उन्होंने अपने खेतों के चारों ओर कई किस्म के पेड़ भी लगाए हैं। जिनपर 50 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का वास है।
अलग-अलग समय में आने वाले पक्षियों को भी अविनाश दांगी के खेत में पर्याप्त भोजन, हवा, पानी और रहने के लिए पौधे मिलते हैं।
अविनाश दांगी बताते हैं कि जैविक खेती करते हुए यह अनुभव हुआ कि वे जैविक किटनाशकों का प्रयोग भी कम से कम करने में ज्यादा से ज्यादा फायदा पक्षियों को आश्रय देने से मिलता है।
जिसका परिणाम यह होता हैं कि कीट व्याधि को अलग-अलग तरह के पक्षी अपना आहार बनाते हैं।
सब्जी और अनाज के बाद अब फलों की जैविक खेती के लिए आगे बढ़े हैं
वैसे तो अविनाश 2001 से जैविक खेती कर रहे हैं। तब उन्होंने सब्जी और अनाज से इसकी शुरूआत की थी।
मगर अब वे फलों की जैविक खेती की ओर एक अलग मॉडल पर कार्य प्रारंभ किया है। उनके जैविक उत्पाद अब जिले से पूरे देश में जाने लगे हैं।
उनका हर किसान से कहना है कि कम से कम एक या दो एकड़ में अपने परिवार के लिए जैविक खेती को जरूर अपनाए और बॉयोडायवरसीटी का भी ध्यान रखा जा सकता है।
अविनाश दांगी ने जैव विविधता पुरस्कार के लिए ऑनलाईन इन्ट्री भेजी थी।
चयन होने के बाद इन्हेे 15 अगस्त पर जिला स्तरीय कार्यक्रम में कलेक्टर द्वारा ट्राफी और प्रमाण-पत्र के साथ पुरस्कृत किया जाएगा।
अविनाश दांगी अपने खेत पर
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