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रेड डायमंड अमरूद की खेती कर किसान कमा रहा लागत से 3 गुना प्रॉफिट

आज हम आपको एक ऐसे अमरूद की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं जो जापानी प्रजाति का है। इसकी पैदावार रतलाम जिले में की जा रही है। यह अमरूद रेड डायमंड के नाम से अपनी पहचान बना रहा है। खाने में बहुत सॉफ्ट है। अंदर से तरबूज जैसा लाल। 3 गुना प्रॉफिट

मीठे के साथ ही थोड़ा खट्टा भी है, लेकिन स्वाद लाजवाब है। बिना बीज का अमरूद (अमरूद रेड डायमंड) है।

इस अमरूद की खेती में लागत से 3 गुना मुनाफा है। इस अमरूद की खेती किसान डीपी धाकड़ कर रहे हैं।

 

CCTV से निगरानी; लागत से 3 गुना प्रॉफिट

डीपी धाकड़ ने बताया कि यूट्यूब के जरिए जापान के रेड डायमंड अमरूद की जानकारी मिली थी।

इसके बाद इंटरनेट के माध्यम से ही गुजरात में इस अमरूद के पौधे मिलने की जानकारी भी प्राप्त हुई।

फिर वहां जाकर पौधे और पैदावार के बारे में समझा। जून 2022 में अपने 20 बीघा खेत में करीब 4 हजार पौधे लाकर लगाए। एक पौधा की कीमत 250 रुपए थी।

किसान धाकड़ के अनुसार पौधों को लगाने के बाद साल भर में फल आना शुरू होते हैं, लेकिन पूरी तरह से पौधे लगने के 3 साल बाद ही आपकी मेहनत बड़े फल के रूप में नजर आएगी।

अभी शुरुआत में करीब 20 से 25 पौधे से फल लेकर बेच चुके हैं।

 

एक पौधे पर 2 हजार रुपए का खर्च

जापानी रेड डायमंड अमरूद के पौधे की देखरेख से लेकर बड़ा करने में एक पौधे पर लगभग 2 हजार रुपए तक का खर्च आ जाता है, जिसमें दवाई, कीटनाशक, बीज के अलावा फल को स्क्रेच ना आए, इसलिए आसपास की पत्तियां भी समय-समय पर हटाना पड़ती है।

पौधों की ग्रोथ सही हो, इसके लिए साल में 2 बार इसकी छंटाई भी करनी पड़ती है।

फल चीकू के साइज का हो जाए तो इसे फोम बैग के साथ पेपर से कवर (ढकना) करना पड़ता है।

इससे अमरूद में पकाव अच्छा आता है। दाग, धब्बे भी नहीं लगते। फल का धूप, कीट व पक्षियों के डंक से भी बचाव हो जाता है।

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पौधों की आपस में दूरी 7 फीट

पौधे आपस में टकराए नहीं, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इसके लिए एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 7 फीट रखी जाती है।

बीच की रो (कतार) की दूरी 13 फीट रखनी पड़ती है। 13 फीट रखने का भी कारण है।

किसान धाकड़ बताते हैं कि वर्तमान समय में हम जब खेती करते हैं तो हकाई, जुताई, स्प्रे सारे आधुनिक टेक्निक वाले पंप है।

जो ट्रैक्टर से ऑटोमैटिक दवाइयों का स्प्रे किया जाता है, इसलिए पौधों की रो की दूरी रखना आवश्यक है, ताकि ट्रैक्टर आसानी से पौधों के बीच में चलाया जा सके।

 

जानिए देसी अमरूद और रेड डायमंड में अंतर

देसी अमरूद- आम अमरूद जिसे इलाहाबादी सफेदा कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में देसी जामफल कहा जाता है। देसी अमरूद में बीज होते हैं। दांत में समस्या होने वाले इस अमरूद को खाने से परहेज करते हैं। देसी अमरूद मौसम के अनुकूल ही होते हैं। देसी जामफल एक्सपोर्ट फल की गिनती में नहीं आता। इसका कारण यह है कि यह अमरूद दो से तीन दिन में खराब हो जाता है।

रेड डायमंड अमरूद – जापानी रेड डायमंड अमरूद में बीज नहीं होते हैं। इस वैरायटी के अमरूद की डिमांड ज्यादा है। इसे बाहर एक्सपोर्ट किया जाता है। जापान का रेड डायमंड अमरूद की सेलिब्रिटी में अच्छी खासी डिमांड होने से इसको सहेजकर डिलीवरी की जाती है। इसी कारण इसका रेट (मूल्य) भी अच्छे मिलते हैं।

 

एक पौधे में 70 से 80 फल आते हैं

सबसे पहले 2 बाय 2 का गड्‌ढा खोदा जाता है। उसमें पौधा रोपा जाता है।

समय-समय पर आवश्यक कीटनाशक दवाई, स्प्रे, देखरेख की जाना आवश्यक है। जब पौधा 3 साल का होगा तो इसमें 70 से 80 फल आएंगे।

4 से 5 साल का पौधा होने पर 100 से 125 तक फल आएंगे।

पौधों की देखरेख के लिए ड्रिप सिंचाई, पानी, मजदूरी, लोहा तार सभी को मिलाकर 8 से 10 लाख रुपए बीघा का खर्चा होता है।

किसान धाकड़ के अनुसार पौधों की लागत के साथ ही देखरेख की मेहनत भी ज्यादा है।

 

मार्च से जून के बीच लगाया जाता है पौधा

जापानी रेड डायमंड अमरूद का पौधा मार्च से लेकर जून माह के बीच लगाया जाता है।

खासकर गर्मी के मौसम में यह पौधा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को देख लगाया जाता है।

ठंड और बारिश में यह पौधा इसलिए मालवा की काली मिट्‌टी में नहीं लगाया जाता, क्योंकि यह समय इसे बोने के लिए अनुकूल नहीं रहता और पौधे की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।

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