फसल की लागत नहीं निकली तो देशभर के हजारों किसानों ने हताश होकर टमाटर सड़कों पर फेंक दिया…, यह तो बहुत बार देखा सुना है, लेकिन मप्र के धार जिले के युवा किसान ने इस नाउम्मीदी को अवसर में बदल दिया।
लॉकडाउन के दौरान जब 10 टन टमाटर के खराब होने की नौबत आ गई तो फेंकने की बजाय उसे पाउडर में तब्दील कर मुनाफा हासिल किया।
लगातार तीन दिन की मेहनत से 700 किलो पाउडर तैयार हो गया, जो बाद में दो लाख में बिका।
25 साल के इस होनहार की यह सूझबूझ क्षेत्र में प्रेरणा के रूप में है, जिसे सराहना मिल रही है।
सब्जियों के भाव में आए दिन आने वाले उताड़-चढ़ाव से परेशान किसानों को नया रास्ता दिखाने वाले यह युवा किसान हैं समीर गोस्वामी ।
फोटो : सोलर ड्रायर में सुखाते हुए टमाटर व युवा किसान समीर गोस्वामी (जिला धार) मध्य प्रदेश
समीर गोस्वामी ने कहा कि पिछले साल सोलर एनर्जी से चलने वाला एक ड्रायर भी खरीदकर रख लिया था, लेकिन क्या उपयोग होगा यह नहीं पता था। एक बीघा खेत में 10 टन टमाटर तैयार था, मंडी में बेचने की स्थिति में आ चुका था, लेकिन लॉकडाउन में अप्रैल में सख्ती थी और टमाटर बेच पाना संभव नहीं था।
ऐसे में मैंने परिवार के सदस्यों के साथ सारे टमाटर की स्लाइस बनाई और फिर उसे सोलर एनर्जी से चलने वाले ड्रायर से 700 किलो पावडर में तब्दील कर लिया।
25 हजार रुपये क्विंटल में बेच टमाटर का पाउडर
मैंने पता किया था कि बहुराष्ट्रीय कंपनी से लेकर राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां टमाटर का पाउडर अधिक मात्रा में खरीद रही हैं। ऐसे में मैंने टमाटर के पाउडर को 25 हजार रुपये कुंतल तक बेचा और उससे दो लाख रुपये अर्जित कर लिए, जबकि तब स्थिति यह थी कि यह टमाटर या तो औने-पौने दाम में बेचते या फेंकना पड़ता। यदि लॉकडाउन की स्थिति निर्मित नहीं होती तो इस टमाटर की कीमत करीब एक लाख रुपये होती।
समीर गोस्वामी ने बताया कि न केवल टमाटर बल्कि अब हम हल्दी, अदरक से लेकर कच्चे आम में भी ड्रायर का उपयोग कर रहे हैं। कच्ची कैरी की भी बाजार में खरीदी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में सोलर ड्रायर से उसे अमचूर में तब्दील किया और वह आज बाजार में अच्छी कीमत पर बिक रहा है। भविष्य में सुरजना फली की पत्तियां को पाउडर बनाने से लेकर अन्य कई मामलों में काम करने जा रहे हैं।
जरूरी नहीं है कि बड़े उद्योग ही लगाए जाएं, छोटे से प्रयास हमें सफल बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि सोलर ड्रायर और इसके उपयोग के लिए स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
source: Naidunia
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