रेज्ड-बेड प्लांटर मशीन द्वारा 20 से 22 इंच चौड़ी क्यारियां बनती हैं।
इनकी ऊंचाई छह इंच होती है।
संभागीय कृषि अभियांत्रिकी ने किसानों को रेज्ड-बेड प्लांटर से दलहन-तिलहन फसलों की बुआई की सलाह दी है।
इससे अरहर, सोयाबीन, मूंग, उड़द, चना, मसूर जैसी फसलों की बुआई की जा सकती है।
इसमें खाद एवं बीज के लिए अलग-अलग बाक्स रखकर ट्रैक्टर की सहायता से खेत में क्यारी बनाई जाती है।
कृषि अभियांत्रिकी के अधिकारियों ने बताया कि रेज्ड-बेड प्लांटर मशीन द्वारा 20 से 22 इंच चौड़ी क्यारियां बनती हैं।
इनकी ऊंचाई छह इंच होती है। प्रत्येक क्यारी के दोनों ओर नालियां होती हैं। इससे एक बार में दो क्यारियां तथा तीन नालियां बनती हैं।
इसके माध्यम से निश्चित गहराई पर रिज एंड फेरो विधि से फसलों की बुआई होती है।
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कृषि अभियांत्रिकी द्वारा दी गई जानकारी अनुसार रेज्ड-बेड प्लांटर से फसल की बुआई क्यारियों में होती है। इसके कारण मिट्टी भुरभुरी रहती है। इससे अंकुरण अच्छा होता है।
फसल में कतारों तथा पौधों की दूरी निर्धारित रहती है जिससे खरपतवार निकालने में यांत्रिक विधि अपनाना आसान होता है।
इंदौर-उज्जैन संभाग के कृषि यंत्री प्रदीप कुमार पाड़लीकर ने बताया कि इस मशीन से बुआई करने पर बीज, खाद, कीटनाशक तथा सिंचाई में पर्याप्त कमी आती है, जिससे किसान को बचत होती है।
इस विधि से बुआई करने पर कम वर्षा तथा अधिक वर्षा का दुष्प्रभाव फसलों पर नहीं होता है।
इसमें बीज बेड पर लगता है, इसलिए अधिक वर्षा होने पर नाली से होकर पानी बह जाता है और कम बारिश होने पर भी पौधा 10-15 दिन की बारिश की खेंच को सहन कर सकता है।
इस प्लांटर के लिए शासन की ओर से किसानों को अनुदान भी दिया जाता है। यह प्लांटर करीब 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक मिलता है।
इसके लिए सामान्य कृषक को 40 और अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला, लघु और सीमांत किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है।
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