4389 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट मंजूर
कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस बनाने के लिए मिलेगा 2 करोड़ रुपए तक का लोन, बैंक गारंटी देगी सरकार, ब्याज में मिलेगी 3 फीसदी की छूट.
कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गईं ज्यादातर योजनाएं का फोकस कृषि उपज बढ़ाने पर रहा है.
लेकिन अब कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, कलेक्शन सेंटर और प्रोसेसिंग यूनिट, ग्रेडिंग, पैकेजिंग यूनिट निर्माण और मंडियों के विकास का रोडमैप तैयार किया जा रहा है, ताकि फसल उत्पादन के बाद किसानों को उपज का उचित दाम मिल सके.
किसानों के पास भंडारण सुविधा होगी तो वो किसी भी फसल की अच्छी कीमत आने तक उपज को उसमें रख सकेंगे.
हम बात कर रहे हैं एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की, जिसके जरिए सरकार ने कृषि क्षेत्र की सूरत बदलने का सपना संजोया हुआ है.
इस फंड से किस राज्य को ज्यादा मिली मदद
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक अब तक इसके तहत विभिन्न राज्यों में 4389 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की मंजूरी दी गई है.
जिसमें से 746 करोड़ रुपये का वितरण भी कर दिया गया है.
आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 1318 परियोजनाओं की मंजूरी दी गई है, जबकि मध्य प्रदेश में 1237 को स्वीकृति मिली है.
इस फंड के जरिए अब तक सबसे अधिक 427 करोड़ रुपये मध्य प्रदेश में बांटे गए हैं.
वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज के लिए सबसे ज्यादा 405.7 करोड़ रुपये मध्य प्रदेश ने लिया है.
इसके अलावा 53.1 करोड़ गुजरात, 46.1 राजस्थान, 30.2 तेलंगाना, 14.7 और 13.9 करोड़ रुपये हरियाणा ने लिया है.
उधर, उत्तर प्रदेश ने सिर्फ 5.4 करोड़ रुपये लिए हैं.
योजना में क्या खास है?
- एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत लोन (Loan) पर ब्याज में 3 फीसदी की छूट मिलेगी.
- कर्ज देने वाले बैंक को 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर बैंक गारंटी सरकार देगी.
- एक स्थान पर दो करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता मिलेगी.
- यानी यदि एक इकाई कई जगहों पर प्रोजेक्ट शुरू करती है तो सभी के लिए ब्याज सहायता मिलेगी.
- प्राइवेट सेक्टर के लिए ऐसी प्रोजेक्ट की अधिकतम सीमा 25 तय की गई है.
- योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष 2032-33 तक कर दी गई है.
मंडी बंद होने की आशंका दूर करने की कोशिश
अब कृषि उपज मंडी समितियां (APMC) की क्षमता के विस्तार के लिए भी इस फंड का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इसी 8 जुलाई इस योजना में संशोधन करके यह फैसला लिया गया है.
यानी अब कृषि मंडियों के भीतर कोल्ड स्टोरेज, साइलो और छंटाई इकाइयों के लिए 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज सहायता दी जा सकेगी.
सरकार की कोशिश यह है कि किसान आंदोलन कर रहे लोगों के मन से यह आशंका दूर हो कि नए कृषि कानूनों के बाद मंडियों को समाप्त कर दिया जाएगा.
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