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खेतों में बिजली पैदा कर पाएंगे मध्य प्रदेश के किसान

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Pradhan Mantri Kusum Yojana

 

जबलपुर सहित मध्य प्रदेश के किसान अब अपने खेतों में बिजली भी पैदा कर पाएंगे।

 

मध्य प्रदेश के किसान अब अपने खेतों में बिजली भी पैदा कर पाएंगे। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत प्रदेश के चुनिंदा 1254 सब-स्टेशनों का चयन किया है।

बिजली कंपनियां आवेदकों से 25 साल तक 3.07 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेंगी।

चयनीत सब-स्टेशनों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले किसानों के लिए खेतों में सोलर प्लांट लगाने का मौका दिया जा रहा है।

इस योजना में करीब 240 मेगावाट की क्षमता के प्लांट लगाए जाएंगे। आनलाइन आवेदन चार अप्रैल तक भरे जा सकेंगे।

 

यह है कुसुम योजना

केंद्र सरकार की तरफ से 300 मेगावाट का लक्ष्य नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग को दिया गया था।

बीते साल कुसुम तीन योजना में किसानों से आवेदन मांगे गए थे। इस योजना में पिछले साल 142 किसानों ने योजना में आवेदन किया था।

दस्तावेज और शर्त पूरी नहीं करने की वजह से 107 किसानों का आवेदन निरस्त हो गया था।

करीब 35 किसान और डेवलपर के ही 61 मेगावाट के पीपीए हुए थे। अब फिर से विभाग ने करीब 240 मेगावाट के लिए आवेदन बुलाए हैं।

 

सब स्टेशन के पांच किलोमीटर दायरे में जमीन

इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनकी जमीन चयनीत प्रदेश के 1254 बिजली सब स्टेशन के पांच किलोमीटर के दायरे में है।

500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक का प्लांट किसान अपनी जमीन में लगा सकेंगे। इससे पैदा बिजली को सब-स्टेशन में भेजी जाएगी।

इसमें मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 592, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 533 और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 129 सब स्टेशन चिन्हित किए गए है।

 

किसान और डेवलपर भी कर सकते हैं आवेदन

किसान के पास जमीन नहीं है तो कंपनी बनाकर इस योजना में शामिल हो सकते हैं। कंपनी की नेटवर्थ एक किलोवाट के लिए करोड़ रुपये की होनी चाहिए।

एक मेगावाट में 16-20 लाख यूनिट बिजली पैदा होती है। दो मेगावाट में 32-40 लाख यूनिट बिजली पैदा होती है।

3.07 रुपये प्रति यूनिट बिजली की खरीदी की जाएगी। अगले 25 साल के लिए बिजली खरीदी का बिजली कंपनी के साथ किसान अथवा कंपनी के साथ करार होगा।

एक मेगावाट के लिए 3.5 से 4 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। दो मेगावाट के लिए 7-8 एकड़ जमीन लगेगी।

यह सुनिश्चत होगा कि किस तरह का माड्यूल किसान सोलर प्लांट लगा रहा है।

डेवलपर यदि किसान से जमीन लेता है तो 30-35 हजार रुपये सालना प्रति एकड़ के हिसाब से किराए पर जमीन लेकर इकाई स्थापित कर सकते हैं। डेवलपर के साथ किसान का अनुबंध होगा।

 

नए सिरे से बुलाईं निविदाएं

मुख्य अभियंता ऊर्जा विकास निगम भुवनेश पटेल ने बताया कि कुसुम तीन योजना में कई किसानों और डेवलपर के द्वारा दस्तावेज, सुरक्षा निधि नहीं जमा करने की वजह से 235 मेगावाट का करार निरस्त किया है।

अब फिर से 240 मेगावाट का नए सिरे से निविदा जारी की जा रही है। कई आवेदकों के पास जमीन के दस्तावेज पर्याप्त नहीं थे, रिन्युवल एनर्जी विभाग की लाइसेंस फीस जमा नहीं की।

9 माह में प्रोजेक्ट को पूरा करना था इसकी बैंक गारंटी देनी पड़ती है जो नहीं पूरी कर पाए। इन तमाम वजह से आवेदन निरस्त करना पड़ा था।

 

फिर मिलेगा मौका

 नवकरणीय उर्जा विभाग ने कहा कि जो किसान और डेवलपर कुसुम योजना में पहले आवेदन कर चुके हैं और उनके आवेदन निरस्त किए है उन्हें भी इसमें मौका मिलेगा।

विभाग ने उन्हें अयोग्य नहीं करार दिया है। इस योजना में अब तक 142 किसानों ने योजना में आवेदन किया था। 35 किसान अभी 61 मेगावाट के पीपीए में शामिल है।

 

सब स्टेशन कैसे चिन्हित

नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग ने ऐसे सब स्टेशन चिन्हित किए है जहां बिजली की सप्लाई संभव है उनका लोड कम है।

उन इलाकों में सोलर से पैदा होने वाली बिजली का उपयोग सुनिश्चित होगा, कृषि पंप, इंडस्ट्री आदि संयंत्र में बिजली का उपयोग हो। इसलिए ऐसे सब स्टेशन चिन्हित हुए हैं।

 

कुसुम योजना के अंतर्गत किसान और डेवलपर चिन्हित सब स्टेशन के आसपास सोलर प्लांट लगाकर आय का जरिया पैदा कर सकता है।

जिन किसानों के पास पर्याप्त राशि नहीं है वो डेवलपर के साथ करार कर योजना का लाभ उठा सकते हैं।

कर्मवीर शर्मा, प्रबंध संचालक मप्र ऊर्जा विकास निगम

source : naidunia

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