पीएम–कुसुम योजना के तहत आवेदन
भारत सरकार द्वारा किसानों की आय में बढोत्तरी एवं अक्षय उर्जा को बढ़ावा देने के लिए कुसुम योजना चलाई जा रही है | दिनाकं 22.07.2019 को प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम–कुसुम) योजना की शुरुआत की गई थी | योजना के तीन घटक हैं जिसके तहत किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार सौर उर्जा उत्पादन के किसी भी घटक का लाभ ले सकते है | योजना के तहत अलग-अलग कॉम्पोनेन्ट के लिए राज्य सरकारों के द्वारा किसानों से आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं |
- कुसुम योजना के घटक- ए में विकेंद्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड नवीकरणीय विद्युत संयंत्र की स्थापना, जिसके तहत किसान अपनी भूमि पर सोलर प्लांट की स्थापना कर उससे बिजली उत्पदान कर सरकार को बेच सकते हैं |
- बी- घटक- बी में स्टैंडअलोन सोलर पावर्ड एग्रीकल्चर पंप्स की स्थापना अर्थात सिंचाई के लिए सोलर पम्प
- सी- घटक-सी में सोलराइजेशन ऑफ ग्रिड कनेक्टेड एग्रीकल्चर पंप्स शामिल है।
अभी मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों से सोलर पम्प एवं सौर उर्जा प्लांट के लिए आवेदन मांगे हैं | जो किसान अपनी जमीन पर सोलर प्लांट स्थापित करना चाहते हैं वह किसान अभी कुसुम योजना के कॉम्पोनेन्ट ए के तहत आवेदन कर सकते हैं | सरकार द्वारा इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं |
कुसुम योजना के कॉम्पोनेन्ट ए के तहत आवेदन करने हेतु सम्पूर्ण जानकारी
पीएम-कुसुम योजना को लागु करने के लिए, मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (MPUVN) राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (SIA) है | सबस्टेशनों के लगभग 5 कि.मी. के दायरे में 500 किलोवाट से 2 मेगावाट के बीच के क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों (एसपीपी) के विकास के लिए भूमि के एकत्रीकरण के लिए इच्छुक आवेदकों से, MPUVN द्वारा सहमति की अभिव्यक्ति आमंत्रित की जा रही है | ये सोलर एनर्जी प्लांट सब-स्टेशन के 11 केवी साइड से जोड़े जायेगें |
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योजना के घटक ‘अ’ के तहत, 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की क्षमता के विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रो (एसपीपी) को विकसित करने की योजना बनाई गई है, जो की वितरण कम्पनी के मौजूदा 33/11 केवी सब-स्टेशनों से सीधे जोड़े जाने का प्रावधान है, इस प्रकार टी एंड डी (T&D) नुकसान के आलावा ट्रांसमिशन सिस्टम की स्थापना की आवश्यकता में बचत होगी | अधिमानत: किसानों द्वारा, उन्हें सौर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्रों के लिए अपनी बंजर और अनुपयोगी भूमि का उपयोग करने इन सब-स्टेशनों के पास ऐसे पावर प्लांट्स को विकसित किया जा सकता है, जिससे उन्हें अपनी आय में वृद्धि करने का अवसर मिल सकेगा |
कुसुम घटक ‘अ’ योजना (सोलर प्लांट) के लिए पात्रता
योग्य आवेदक (इसके बाद सौर ऊर्जा जनरेटर (एसपीजी) कहा जाएगा) हो सकते है-
- व्यक्तिगत किसान/कृषक
- किसानों का समूह
- सहकारिता (को-आपरेटिव)
- पंचायत
- किसान उत्पादन संगठन (FPO)
- जल उपयोगकर्ता संघों (WUA)
- शासकीय कृषि विश्विद्यालय या अन्य कृषि सम्बन्धित शासकीय संस्थान
यदि आवेदक, सोलर संयंत्र (एसपीपी) स्थापित करने के लिए आवश्यक इक्विटी की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं है, तो वे डेवलपर (एस) के माध्यम से एसपीपी को विकसित करने का विकल्प चुन सकते है | एसआईए (MPUVN) द्वारा ऐसे डेवलपर्स के चयन के लिए पृथक से (सेपरेट) आरएफपी जारी की जाएगी |
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विकास का तरीका
सौर संयंत्रों (एसपीपी) के विकास के निम्नलिखित विकल्पों की अनुमति है, (हालाँकि भूमि स्वामी/ मालिक को इस EOI के मधयम से अपनी भूमि SIA के साथ पंजीकृत करने की आवश्यकता ही है)
- सेल्फ-डेवलपमेंट मोड: इस मोड के तहत, पात्र प्रतिभागी आवेदक स्वयं के निवेश के साथ अपनी जमीन पर एसपीपी (सौर ऊर्जा संयंत्र / Solar Power Plant) विकसित कर सकते है |
- डेवलपर मोड: यदि किसान एसपीपी के लिए पूंजी/निवेश की व्यवस्था करने में असमर्थ है, तो वह एसपीपी की स्थापना के लिए अपनी जमीन को लिज़ / भाड़े / किराये पर देने का विकल्प चुन सकता है | ऐसे मामले में डेवलपर को एसपीजी कहा जाएगा |
भूमि का प्रकार एवं आवश्यकता
- इस योजना के तहत एसपीपी मुख्य रूप से बंजर/ गैर–कृषि जमीन पर स्थापित किया जाना प्रस्तावित है | तथापी योजना के तहत कृषि भूमि भी मान्य है |
- सबस्टेशनों के लगभग 5 कि.मी. के दायरे में 500 किलोवाट से 2 मेगावाट के बीच के क्षमता वाले एसपीपी को योजना के तहत अनुमति दी गई है | संबंधित DISCOMs द्वारा SIA को इन सबस्टेशन की सूची प्रदान की गई है | अतः पंजीयन हेतु न्यूनतम आवश्यक भूमि 2 एकड़ / 0.81 हैक्टेयर एवं अधिकतम भूमि 10 एकड़/4 हैक्टेयर ही वांछित होगी |
- आवेदन में उल्लेखित की गई भूमि एक साथ होनी चाहिए एवं उसमें जल स्त्रोत जैसे-तालाब, नहर, नदी आदि, रेल्वे लाईन, सड़क स्कूल, धार्मिक स्थल एवं अन्य किसी भी प्रकार की संरचना नहीं होनी चाहिए | आवेदन की गई भूमि पूर्णरूप से अतिक्रमण मुक्त होने पर ही मान्य हो सकेगी |
कुसुम योजना के घटक-ए सोलर प्लांट आवेदन शुल्क
आवेदन की गई भूमि के लिए रु. 1,500 /- गुड्स एंड सर्विस टैक्स सहित, की दर से एक गैर-वापसी योग्य आवेदन शुल्क, योग्य आवेदक द्वारा ऑनलाइन मोड के माध्यम से भुकतान किया जाना आवश्यक है | भुगतान न मिलने पर, आवेदन स्वीकार योग्य नहीं होगें |
लैंड लीज रेट
माननीय MPERC के समक्ष, विद्युत विक्रय शुल्क निर्धारण प्रक्रिया में MPUVN द्वारा प्रस्तावित भूमि लीज के लिए दर INR 36,400 प्रति एकड़ / वर्ष होने का अनुमान प्रस्तुत किया जा रहा है, भुगतान की जाने वाली अनुमानित लीज राशि माननीय MPERC से अनुमोदन के अधीन है | हालाँकि, वास्तविक पट्टा / लीज दरें डेवलपर और भू-स्वामी के बीच आपसी बातचीत पर आधारित हो सकती है, (परियोजना का विकास डेवलपर मोड के मामले में) | माडल/ आदर्श लैंड लीज समझौता दस्तावेज संलग्नक – 3 में दिया गया है |
ईओआई (EOI) सबमिशन
मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड द्वारा संलग्नक – 2 में प्रदान किए गए सबस्टेशनों के लगभग 5 कि.मी. के दायरे में 500 किलोवाट से 2 मेगाटन के बीच के क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों (एसपीपी) के विकास के लिए भूमि के एकत्रीकरण के लिए इच्छुक आवेदकों से इस ईओआई (EOI) के माध्यम से आवेदन आमंत्रित करता है | ये सोलर एनर्जी प्लांट सब-स्टेशन के 11 केवी साइड से जुड़े होगें |
ईओआई (EOI) जमा करने की अंतिम तिथि | 31.12.2020 |
प्रस्तुत करने का तरीका | इच्छुक आवेदकों से अनुरोध है कि वे www.cmsolarpump.mp.gov.in एवं www.mprenewable.nic.in पर पंजीकरण करें |
ईओआई (EOI) जमा करने की अंतिम तिथि तक प्रस्तुत करें | समय सीमा के बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा | |
संपर्क विवरण | किसी भी और स्पष्टीकरण के लिए आवेदक ई-मेल से ceuvn@mp.gov.in या kusum.a.mpuvn@gmail.com पर ई-मेल लिखकर स्पष्टीकरण मांग सकते है | |
परियोजना के लिए भूमि का चयन
स्व-विकास मोड
भविष्य में एस.पी.यू.वी.एन. (SIA) द्वारा आमंत्रित किए जाने वाले प्रोजेक्ट अलाटमेंट के लिए ओपन कम्पिटिटिव बिड प्रोसेस में सेल्फ-डेवलपमेंट मोड के तहत रजिस्टर किए गए योग्य आवेदकों को अन्य एसपीजी (सौर ऊर्जा जनरेटर) के साथ भाग लेना होगा |
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डेवलपर मोड
- एम.पी.यू.वी.एन. ऐसे सभी पात्र आवेदकों की सूची प्रकाशित करेगा, जो इस ईओआई (EOI) के तहत पंजीकृत होगे और पट्टे / लीज पर अपनी जमीन प्रदान करने के लिए इच्छुक है, यह विवरण अर्थात जिला / तहसील, खसरा नम्बर, भूमि क्षेत्रफल की पेशकश, मालिक और सम्पर्क विवरण आदि वेबसाईट पर उपलब्ध होगा |
- MPUVN, संलग्नक-2 में उल्लेखित सबस्टेशनों की सूची के तहत स्थापित की जाने वाली क्षमता 500 kW से 2 MW के SPP की प्रतिस्पर्धा बोली के तहत बोलियों को आमंत्रित करेगा | पात्र आवेदक जिन्होंने स्व-विकास मोड के तहत अपनी रूचि दर्ज की है और जो डेवलपर्स पट्टे/लीज पर ली गई भूमि पर एसपीपी विकसित करने के इच्छुक है, वे दोनों बोली प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र होगे |
- जो डेवलपर्स पट्टे/लीज पर दी गई जमीन पर एसपीपी विकसित करने में रूचि रखते है, वे पात्र आवेदकों से संपर्क करेंगें, जिन्होंने इस ईओआई (EOI) के तहत पंजीकरण किया है, सीधे जमीन के मालिक के साथ 27 साल की अवधि के लिए भूमि/पट्टे लीज के समझोते पर हस्ताक्षर करेंगे | एक माडल लीज रेंट एग्रीमेंट संलग्नक-3 के रूप में संलग्न है |
- इस ईओआई (EOI) के तहत भूमि के पंजीकरण उपरांत, आवंटन प्रक्रिया के तहत लीज के लिए डेवलपर्स द्वारा भूमि के चयन की गारंटी नहीं दी जाती है |
- हालाँकि, पात्र आवेदकों के लिए, जिनकी भूमि को निविदा में पट्टे / लीज के लिए किसी भी डेवलपर द्वारा चयनित नहीं किया जाता है, तो उनके आवेदनों को स्वचालित रूप से अगली (Next) आवंटन प्रक्रिया के लिए मान्य माना जाएगा और ऐसे पात्र आवेदकों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा |
- भूमि के पट्टे के लिए पात्र आवेदकों एवं डेवलपर के बीच एक द्वि-पक्षीय समझोता होगा और भूमि को डेवलपर को पट्टे पर देने में विफलता के लिए MPUVN को किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं माना जाएगा |
अन्य जानकारी
सोलर आधारित योजनाओं की स्थापना पर लगभग रु. 335.14 लाख प्रति मेगावाट की दर से व्यय आकलित है | स्व-विकास मोड के तहत इच्छुक आवेदक वित्तीय व्यवस्था होने पर ही उचित मोड का चयन करें |
कुसुम योजना के घटक-ए के तहत सोलर प्लांट लगवाने के लिए आवेदन करने हेतु क्लिक करें
source : kisansamadhan
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