पिछले कुछ वर्षों से देश में पोषक तत्वों से भरपूर होने के चलते काले धान की बाजार में खूब मांग बढ़ी है। जिसके चलते किसानों को इसकी अच्छी क़ीमत भी मिल जाती है, ऐसे में किसान इस साल काले धान की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
काला धान की किस्मों की बात की जाए तो कालाबाती और चखाओ इसकी पॉपुलर किस्में हैं।
इसके अलावा यूपी सरकार भी राज्य में किसानों को काला नमक धान के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिसका विदेशों में निर्यात किया जाता है।
धान की खेती
काला चावल की पैदावार सबसे पहले चीन में हुई थी, बाद में यह भारत के मणिपुर में उगाया जाने लगा।
इसे मणिपुर काला धान या चखाओ काला धान के नाम से जाना जाता है। इसे अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते असम और सिक्किम और ओडिशा समेत कुछ अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में भी उगाया जाता है।
यह काला धान 100 से 120 दिन में तैयार हो जाता है और इसका पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो आम धान फसल के पौधे की तुलना में बड़ा होता है।
ऐसे करें खेत की तैयारी
खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना जरूरी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार धान की फसल के लिए खेत की पहली जतुाई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2 से 3 जतुाई कल्टीवेटर से करके खेत तैयार करना चाहिए।
इसके अलावा खेत की मजबूत मेड़बंदी करनी चाहिए, ताकि बारिश का पानी अधिक समय तक खेत में रोका जा सके। धान की रोपाई से पहले खेत को पानी भरकर जतुाई कर दें।
किसानों को अच्छी मिलती है कीमत
काला धान की खेती आम धान की तरह ही की जाती है, लेकिन इसका चावल अन्य किस्मों की तुलना में दोगुनी कीमत पर बिकता है।
आमतौर पर सामान्य धान का चावल 50-60 रुपये प्रति किलो में बिकता है। जबकि, काला चावल बाजार में 200 रुपये से 500 रुपये किलो तक बिकता है।
इसे खाड़ी देशों के साथ ही कई यूरोपीय देशों में निर्यात किया जाता है। इसका उत्पादन औसतन प्रति एकड़ 12-15 क्विंटल तक होता है।
काला चावल मुख्यतः सुगंधित चावल की एक किस्म है जिसका किसानों को अन्य चावल किस्मों की तुलना में बेहतर मूल्य मिलता है।
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