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किसान मार्च महीने के अंतिम दिनों में करें यह काम

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अभी देश के कई हिस्सों में गेहूं की कटाई में समय है, ऐसे में गेहूं की खेती करने वाले किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर इसकी पैदावार बढ़ा सकते हैं।

मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े के दौरान लगातार मौसम में हो रहे परिवर्तन से गेहूं की फसल में कुछ कीट एवं रोग लग सकते हैं।

जिसको देखते हुए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने गेहूं किसानों के लिए मार्च के दूसरे पखवाड़े यानि की 16 मार्च से 31 मार्च तक के लिए सलाह जारी है।

 

गेहूं की खेती

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि अभी किसान गेहूं की फसल में लगने वाले कीट एफ़िड (माहू) एवं पीला रतुआ रोग का नियंत्रण कैसे कर सकते हैं।

वहीं तेज गर्मी से गेहूं की उपज में कमी ना आए इसके लिए किसानों को कौन सी दवा का स्प्रे करना चाहिए यह जानकारी भी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा दी गई है।

 

किसान गेहूं की फसल को गर्मी से कैसे बचाएं

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि किसान आवश्यकता के अनुसार अभी गेहूं की फसल में सिंचाई करें।

वहीं तेज हवा वाले मौसम में लेजिंग से बचने के लिए किसानों को सिंचाई नहीं करनी चाहिए ताकि उपज के नुक़सान से बचा जा सके।

मार्च के मध्य से अंत तक तापमान बढ़ने की स्थिति में किसान फ़सल को सूखे से बचाने और तनाव को कम करने के लिए 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम एम.ओ.पी.) का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं या 2 प्रतिशत KNO3 प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4.0 किलोग्राम दो बार बूट लीफ पर और एंथेसिस चरण के बाद स्प्रे कर सकते हैं।

 

किसान इस तरह गेहूं को बचाएँ माहूँ (एफ़िड) कीट से

जारी सलाह में बताया गया है कि किसान गेहूं में पत्ती माहूँ (चेपा) की निरंतर निगरानी करें।

पत्ती एफ़िड का अधिक प्रकोप (ईटीएल: 10-15 एफ़िड/टिलर) होने पर किसान क्विनालफ़ॉस 25 प्रतिशत ईसी का उपयोग कर सकते हैं।

किसानों को 400 मिलीलीटर क्विनालफ़ॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करना चाहिए।

 

पीला रतुआ रोग के लिये सलाह

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की और से किसानों से अनुरोध किया गया है कि धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) या भूरा रतुआ की निरन्तर जाँच करते रहें।

यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में रतुआ का प्रकोप देखते हैं और पुष्टि करते है तो उस स्थिति में प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी के एक स्प्रे का छिड़काव करें।

इसके लिए किसानों को एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर रसायन मिलाना चाहिए।

इसके लिए किसान एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

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