देश के कई राज्यों में मानसून पहुंच गया है, इसके साथ ही किसान खरीफ फसलों की बुआई के कार्यों में जुट गये हैं। ऐसे में किसान विभिन्न फसलों का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकें इसके लिए उन्नत किस्मों (इस साल लगायें) के बीजों की व्यवस्था करने में लगे हुए हैं।
इस कड़ी में बाजरा मिलेट (मोटे अनाज) में सबसे व्यापक रूप से उगाई जाने वाली फसल है। इसको गरीब लोगों के भोजन के रूप में जाना जाता है।
बाजरे की खेती उन क्षेत्रों में भी की जा सकती है जहां मक्का, गेहूं तथा धान जैसी फसलें नहीं उगाई जा सकती है।
मिलेगी भरपूर पैदावार
पोषक तत्वों से भरपूर होने के चलते सरकार भी मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
ऐसे में किसान कम लागत में अच्छी पैदावार कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए किसान अपने क्षेत्र की जलवायु अनुकूल क़िस्मों का चयन कर सकते हैं।
बाजरे की बुआई जून से जुलाई में की जाती है, जो वर्षा पर निर्भर है। सामान्यतः बाजरे की बुआई का उपयुक्त समय 15 जून से 15 जुलाई तक है लेकिन जून में अच्छी वर्षा होने पर किसान बाजरे की बुआई कर सकते हैं।
बाजरा की उन्नत किस्में
पी.एच.बी. 13, 14, 15, एचबी 146, पूसा संकर बाजरा 1201, 1202, प्रोएग्रो 9001, 9450, ICTP 8203, हाइब्रिड 7, हाइब्रिड 12, ICMH 1201 आदि बाजरा की नई उन्नत किस्में हैं।
वहीं राजस्थान के लिए बाजरा की उन्नत नई किस्में जिसमें MPMH-17, HHB 67-2, RHB 177, HHB-299, RHB-234, 233, RHB 223, RHB-228 शामिल है।
किसान इन क़िस्मों में से उपलब्धता के अनुसार किस्मों का चयन कर सकते हैं।
इसके अलावा बाजरा की संकर प्रजातियाँ उन्नत किस्में पूसा 23, पूसा 415, पूसा 605, पूसा 322, एचएचबी 50, एचएचबी 67, एचएचडी 68, एचएचबी 117, एचएचबी इंप्रूव्ड एवं संकुल प्रजातियाँ पूसा कंपोजिट 701, पूसा कंपोजिट 1201, आईसीटीपी 8202, राज बाजरा चारी 2 व राज 171 आदि प्रमुख हैं।
बाजरा किस्म पूसा कंपोजिट 701
- बाजरा की यह किस्म राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली के लिए अनुकूल है।
- या किस्म मृदु-रोमिल असिता रोग के प्रति प्रतिरोधी है।
- बाजरे की यह दिन 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- इस किस्म से किसान औसतन उपज 23.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं अधिकतम 41.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरा किस्म एमपीएमएच -17
- बाजरे की यह किस्म 79 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह किस्म जोगिया रोग रोधी, सिट्टा रोयेंयुक्त होती है।
- बाजरे की इस किस्म से 26 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
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बाजरा किस्म एमएचबी 67-2
- बाजरे की यह किस्म 62 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह किस्म अगेती और पछेती बुआई के लिए उपयुक्त है।
- बाजरे की इस किस्म से किसान 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरा किस्म आरएचबी- 177
- बाजरे की यह किस्म 70 से 74 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह किस्म जोगिया रोग रोधी और सूखे की लिए उपयुक्त है।
- बाजरे की इस किस्म से किसान 42 से 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरा किस्म आरएचबी- 299
- बाजरे की यह किस्म 80 से 81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह किस्म प्रमुख बीमारियों व कीटों के प्रति प्रतिरोधी है।
- बाजरे की इस किस्म से किसान 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरा किस्म RHB-234, 233
- बाजरे की यह किस्म 80 से 81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह किस्म हरित बाली रोग व ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी है।
- बाजरे की इस किस्म से किसान 30 से 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
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