किसान फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग की टीम खेतों तक जाकर फसलों का निरीक्षण कर रही है और किसानों को समसामयिक सलाह भी दे रही है।
इस कड़ी में गुरुवार के दिन जबलपुर कृषि विभाग की टीम के द्वारा शहपुरा तहसील के ग्राम दामन खमरिया, भड़पुरा, भीकमपुर, नयानगर, सूखा बिजना, चरगंवा एवं माल कछार में खेतों का निरीक्षण किया गया।
दवा का छिड़काव
खेतों के निरीक्षण के दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंघई ने प्रथम दृष्टया मक्के में सल्फर की कमी भारी मात्रा में पाई, साथ ही पाया कि किसानों द्वारा नींदानाशक दवा के लिए सही नोजल का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने मक्के की फसल में सल्फर की पूर्ति करने की सलाह किसानों को दी, वहीं नींदानाशक दवा का छिड़काव करने में फव्वारे के स्थान पर फ्लैट फैन नोजल का ही इस्तेमाल करने कहा।
अधिक यूरिया के उपयोग से फसलों में होता है कीट एवं रोग का प्रकोप
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ.सिंघई ने किसानों से कहा कि नींदानाशक दवा का उपयोग अनुशंसित मात्रा में, अनुशंसित समय पर एवं पानी की मात्रा के अनुसार करना चाहिए।
उन्होंने किसानों को उड़द, मक्का, सोयाबीन फसल में उपयुक्त जल निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करने की सलाह भी दी।
धान, मक्का की फसलों में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग 25-30 किलोग्राम की दर से एक सप्ताह के अंतराल पर करने तथा यूरिया की अधिक मात्रा का उपयोग ना करने की समझाइश देते हुये डॉ. सिंघई ने बताया कि अधिक मात्रा में यूरिया का उपयोग करने से फसलों पर कीट एवं बीमारियों की समस्या बढ़ जाती है।
किसान कितना यूरिया डालें
डॉ. सिंघई ने कहा कि जल में घुलनशील उर्वरक एनपीके 18:18:18 या 19:19:19 या 20:20:20 का प्रयोग एक किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिये।
जब फसल फूल की अवस्था पर आने वाली हो तब 00:52:34 तथा दाना भरने की अवस्था पर 00:00:50 का प्रयोग एक किलो प्रति एकड़ की दर से करना चाहिये।
जल में घुलनशील उर्वरकों का छिड़काव फ्लैट फैन नोजल लगाकर करने की सलाह भी दी गई।
किसानों को कीट एवं रोग के नियंत्रण की दी सलाह
खेतों के निरीक्षण के दौरान कृषि अधिकारियों की टीम ने मूंग एवं उड़द फसल में पीत शीरा रोग के नियंत्रण के लिए थायोमेथाकसाम, इमिडाक्लोरोपीड, एसीटामापीड का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी।
किसानों से कहा गया कि अरहर फसल में रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए थायोमेथाकसाम, इमिडाक्लोरोपीड, एसीटामापीड का उपयोग करें।
मूंगफली की फसल में इस समय मिट्टी चढाने का काम आवश्यक रूप से करें।
फसल पर जब पौधे पूरी ऊंचाई पर पीलापन लिए हुए होते हैं तो यह सल्फर तत्व की कमी के लक्षण हैं, अतः सल्फर तत्व की सल्फर बेंटोनाइट 5 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग करने की सलाह भी किसानों को दी गई।
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