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किसानों को बीज ग्राम योजना के तहत फ्री में दिए जाएंगे नई किस्मों के बीज

 

बीज ग्राम योजना के तहत बीज वितरण

 

कृषि क्षेत्र में दलहनी एवं तिलहनी फसलों के भाव में तेजी के चलते किसानों के बीच इन फसलों की खेती के लिए रुझान बढ़ा है|

दलहनी तथा तिलहनी फसलों की बढ़ती मांग और देश में इन फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा भी इन फसलों के उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है|

मध्यप्रदेश सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने एवं राज्य में पैदावार बढ़ाने के लिए बीज ग्राम योजना शुरू कर रही है|

योजना के तहत किसानों को खाद्यान्न, दलहन एवं तिलहन फसलों की नवीन किस्मों के प्रमाणित एवं उन्नत बीज उपलब्ध कराये जायेंगे।

 

देश भर में लगभग 35 मिलियन टन तिलहन का उत्पादन होता है जो देश की कुल जरूरत का 40 प्रतिशत ही पूरा करता है|

शेष तिलहन की आपूर्ति आयात करके की जाती है|

देश में तिलहन का मूल्य 8 से 12 हजार रूपये क्विंटल तक चल रहा है ऐसे में किसानों को इसका लाभ मिल सके इसके सरकार द्वारा इन फसलों के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है|

दलहन एवं तिलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को दलहनी तथा तिलहनी फसलों का बीज नि:शुल्क वितरण करने जा रही है|

 

बीज ग्राम योजना के लिए अभी इन जिलों का किया गया चयन

मध्य प्रदेश कृषि विभाग के द्वारा बीज ग्रामों का शुभारंभ किया जा रहा है।

इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल ग्रामों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे।

इसमें प्रत्येक बीज ग्राम में 50 हितग्राही किसानों को खाद्यान्न, दलहन एवं तिलहन फसलों की नवीन किस्मों के प्रमाणित एवं उन्नत बीज उपलब्ध कराये जायेंगे।

10 जिलों के चयनित ग्राम इस प्रकार है :-

  • शाजापुर – 9 ग्राम
  • उज्जैन – 8 ग्राम
  • होशंगाबाद, सीहोर, विदिशा और सिवनी – 7 – 7 ग्राम
  • राजगढ़ और बड़वानी – 8 – 8 ग्राम
  • हरदा – 10 ग्राम

 

किस जिले में कौन सी फसल का बीज दिया जायेगा ?

कृषि मंत्री श्री पटेल ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री चौहान राज्य-स्तरीय कार्यक्रम में किसानों को नि:शुल्क बीज मिनीकिट वितरण करेंगे।

बीजों के मिनीकिट में सरसों समस्त जिलों में, मसूर 32 जिलों में और अलसी के बीज मिनीकिट 18 जिलों में वितरित किये जायेंगे।

बीज मिनीकिट में उच्च उत्पादन किस्मों के बीज होंगे। इनसे कृषक नवीन किस्मों को अपनाये जाने के लिये प्रेरित होंगे।

नवीन किस्मों के प्रमाणित बीज सीधे कृषकों तक पहुंचेंगे, जिसका लाभ किसानों को अधिक से अधिक होगा।

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