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बरसात में कटहल की खेती से बढ़िया मुनाफा कमाएंगे किसान

कटहल की खेती

 

कटहल की फसल के लिए गर्म और आद्र जलवायु को काफी उपयुक्त माना जाता है.

इसके पौधे अधिक गर्मी और वर्षा के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, किन्तु ठण्ड में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है.

इसके साथ ही 10 डिग्री से नीचे का तापमान पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक होता है.

कटहल का पेड़ एक बार तैयार हो जाने पर कई वर्षो तक पैदावार देता है.

 

भारत में कटहल की फसल को बड़े पैमाने पर खेती की जाती है.

इसे विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहते है. कटहल में आयरन, कैल्शियम और पौटेशियम जैसे तत्व होते हैं जो कि जो स्वस्थ रखने में फायदेमंद हैं.

 

कहीं भी कर सकते हैं कटहल की खेती

कटहल की खेती को सभी तरह की भूमि में कर सकते है, किन्तु बलुई दोमट मिट्टी को इसकी फसल के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. 

इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखे की भूमि जल-भराव वाली न हो.

इसके खेती में भूमि का P.H. मान 7 के आस-पास होना चाहिए . इसकी खेती जून से सितंबर महीने में की जा सकती है.

 

कैसा जलवायु आवश्यक

कटहल की फसल के लिए गर्म और आद्र जलवायु को काफी उपयुक्त माना जाता है.

इसके पौधे अधिक गर्मी और वर्षा के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, किन्तु ठण्ड में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है.

इसके साथ ही 10 डिग्री से नीचे का तापमान पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक होता है.

कटहल का पौधा एक बार तैयार हो जाने पर कई वर्षो तक पैदावार देता है.

 

कटहल का कैसे करते हैं उपयोग

कटहल के फलों को विकास के साथ कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है.

 मध्यम उम्र के फल, जिसे सब्जी के लिए प्रयोग किया जाता है, को उस समय तोड़ना चाहिए जब उसके डंठल का रंग गहरा हरा, गूदा कठोर और कोर मलायम हो.

इसके अलावा अगर आप कटहल के पके फलों का सेवन करना चाहते हैं तो इसे फल लगने के तकरीबन 100-120 दिनों बाद तोड़ना चाहिए.

बता दें कि अगर कटहल की खेती बड़े स्तर पर की जाए तो किसान आराम से सालाना 8 से 10 लाख तक मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

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