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सहजन की खेती से किसानों की होगी लाखों में कमाई

छोटे किसानों के लिए सहजन की खेती किसी वरदान से कम नहीं है, इसकी खेती करके किसान कम समय में लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं. किसान सहजन की खेती बंजर जमीन पर भी कर सकते हैं.

 

10 सालों तक मिलेगा उत्पादन

सहजन जिसे मोरिंगा के नाम से भी किसानों के बीच पहचाना जाता है और यह एक बहु उपयोगी पेड़ है.

इसते सभी भाग अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जिसमें फल, फूल, पत्तियों और बीज शामिल है.

किसानों को सहजन की खेती करने से काफी लाभ प्राप्त होता है.

छोटे किसानों के लिए मोरिंगा की खेती किसी वरदान से कम नहीं है, इसकी खेती करके किसान कम समय में लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं.

किसान सहजन की खेती बंजर जमीन पर भी कर सकते हैं और इसके साथ अन्य फसलों की भी खेती की जा सकती है.

 

सहजन के पौधे में पोषक तत्व

सहजन के पौध में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य लाभ पहुंचाते हैं.

सहजन में कार्बोहाइड्रट, प्रोटीन, पानी, वसा,  विटामिन, कैल्शियम, मैगनीशियम, आयरन एलिमेंट, मैगनीज, फॉस्फोरस, पोटेशियम और सोडियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं.

300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण सहजन में पाए जाते हैं.

बता दें, इसमें 90 टाइप के मल्टीविटामिन्स, 45 टाइप के एंटी आक्सीडेंट गुण, 35 टाइप के दर्द निवारक गुण और 17 टाइप के एमिनो एसिड पाए जाते हैं.

 

सहजन के सभी अंगो का सेवन

सहजन के पौधें की 4 से 6 मीटर लंबाई होती है और इसमें फूल आने पर 90 से 100 दिनों का समय लगता है.

किसान अपनी जरूरत के अनुसार विभिन्न अवस्थाओं में इसके फल की तुड़ाई कर सकते हैं.

बुवाई करने के लगभग 160 से 170 दिनों में इसके पौधे पर फल तैयार होना शुरू हो जाते हैं.

मोरिंगा की कच्ची-हरी फलियां सबसे अधिक उपयोग में ली जाती हैं. आपको बता दें, सहजन की पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल और जड़ों को खाया जा सकता है.

 

उन्नत किस्में

भारत में सहजन या मोरिंगा इसकी उन्नत किस्मों में पी.के.एम 1, कोयम्बटूर 2, रोहित 1 और पी.के.एम 2 शामिल है. सहजन की इन उन्नत किस्मों का पौधा लगाना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.

 

उपयुक्त भूमि व जलवायु

किसान सहजन की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए सूखी बलुई या चिकनी बलुई मिट्टी अच्छे उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

गर्म इलाकों में सहजन का पौधा आसानी से फल फूल जाता है. इसके पौधे को पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है.

ठंडे इलाकों में मोरिंगा की खेती काफी कम का जाती है, क्योंकि इसका पौधा अधिक सर्दी सहन नहीं कर सकता है.

इसकी खेती के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान का सबसे उपयुक्त माना जाता है.

 

पौधे की रोपाई

सहजन के पौधे की बुआई करने के लिए किसानों को पहले गड्ढे बना लेने चाहिए.

जब खेत पूरी तरह से खरपतवार मुक्त हो जाए, तो 2.5 X 2.5 मीटर की दूरी पर 45 X 45 X 45 सेंमी. के आकार के गड्ढा बना लेने चाहिए.

इसके बीजों की रोपाई करने से पहले इन्हें गड्ढ़ो में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार किया जाता है.

जब पौधा की लंबाई लगभग 75 सेंमी का हो जाती है, तो इसके ऊपरी भाग को तोड़ कर इसकी शाखाओं को निकलना आसान हो जात है.

 

पौधे की कटाई

सहजन के पौधे लगाने के बाद लगभग 4 से 5 सालों तक इससे फलन लिया जा सकता है.

हर साल फसल प्राप्त करने के बाद इसके पौधे को काटना जरूरी होता है.

फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में इसकी फल देने वाले किस्मों की तुड़ाई का जाती है.

इसके प्रत्येक पौधे से लगभग 40 से 50 किलोग्राम तक सहजन को सालभर में प्राप्त किया जा सकता है.

इसकी फसल लगाने के पहले साल के बाद एक साल में दो बार इससे उत्पादन होता है और इसका एक पेड़ 10 सालों तक अच्छा-खासा  उत्पादन देता है.

 

इसके पेड़ से कमाई

भारतीय बाजारों में सहजन के पौधे की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिलती है, जिससे लाभ भी ज्यादा मिलता है.

किसान यदि एक एकड़ में इसकी खेती करते है, तो इससे लगभग 1500 पौधे लगाए जा सकते हैं.

यदि इसका पेड़ अच्छी तरह से बढ़ता है, तो केवल 8 महीने में तैयार हो सकता है, जिससे आपको 3000 किलो तक का कुल उत्पादन प्राप्त हो सकता है.

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