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सीताफल का पेटेंट पाने वाले देश के पहले किसान नवनाथ कसपटे

यदि मन में सच्ची लगन हो, तो कड़ी मेहनत से निर्धारित लक्ष्य को पाया जा सकता है.वर्षों के अनुसंधान के बाद सीताफल की नई प्रजाति एनएमके -1 (गोल्डन ) का पेटेंट पाने का यह कमाल कर दिखाया है,ग्राम गोरमाले तहसील वार्शी जिला सोलापुर (महाराष्ट्र) के उन्नत कृषक डॉ.नवनाथ मल्हारी कसपटे ने इस तरह का पंजीयन कर पेटेंट पाने वाले वे देश के पहले किसान हैं।

इस संबंध में डॉ. नवनाथ ने कृषक जगत को बताया कि वर्षों के अनुसन्धान के बाद सीताफल की नई किस्म एनएमके -1 (गोल्डन ) के पंजीयन के लिए आवेदन किया तो पता चला कि वहां इस श्रेणी में पंजीयन के लिए कोई नियम ही नहीं है। बाद में कृषि मंत्रालय ने नए नियम बनाए जिसके तहत 1 अप्रैल 2016 को पंजीयन हुआ ,जबकि केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण , नई दिल्ली द्वारा इस किस्म के स्वामित्व का हक़ ( पेटेंट ) 2019 में दिया गया।

गोल्डन सीताफल की विशेषताएं

डॉ. कसपटे ने बताया कि उनके मधुबन फार्म में उत्पादित आकर्षक गोल्डन सीताफल का आकार सामान्य सीताफल से बड़ा है.यह कम पानी में उगने वाली प्रजाति है. यह पेड़ पर 15 दिन रह सकता है।

तोडऩे के बाद भी जल्दी खराब नहीं होता है. यह स्वाद में मीठा है. सामान्य सीताफल में शुगर 22 प्रतिशत है , तो गोल्डन में 26 प्रतिशत शुगर है. इसमें पल्प भी 75 प्रतिशत तक मिलता है, क्योंकि इसमें अधिकतम 10 -15 बीज ही निकलते हैं. जहां सामान्य सीताफल का प्रति एकड़ 3 -4 टन उत्पादन होता है , वहीं गोल्डन सीताफल 10 -12 टन /एकड़ उत्पादन देता है।

इसका न्यूनतम भाव 50 रु. और अधिकतम 400 रु. किलो तक मिल जाता है. मार्च माह और आउट सीजन में अच्छी कीमत मिलती है . प्रति एकड़ 5-6 लाख रु. की आय हो जाती है।

 

देश-विदेश में प्रसिद्ध

गोल्डन सीताफल की ख्याति देश -विदेश में है. देश के 15 राज्यों में भेजा जा रहा है. यही नहीं अमेरिका के फ्लोरिडा और अफ्रीका के तंजानिया में इस सीताफल का पौधारोपण सफल रहा है. इसकी प्रसिद्धि के कारण ही इसकी नकली प्रजाति तैयार कर बाजार में चलाने की बात भी सामने आई है. इसीलिए अ.भा. सीताफल उत्पादक महासंघ के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. नवनाथ कसपटे ने किसानों से आह्वान किया है कि हमारे असली ब्रांड को देखकर ही खरीदें और व्यापारी से पक्का बिल अवश्य लें।

 

गोल्डन सीताफल के नाम से नकली प्रजाति बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि उन्हें अब इसका पेटेंट मिल गया है।स्मरण रहे कि डॉ. नवनाथ कसपटे को पादप जीनोम संरक्षक कृषि प्रतिदान सम्मान वर्ष 2015 के लिए 19 अप्रैल 2017 को तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह द्वारा सम्मानित किया गया था, जिसमें डेढ़ लाख नकद, उद्धरण और स्मृति चिन्ह शामिल है।

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