बीज अंकुरण परीक्षण
किसी भी फसल की अधिक पैदावार के लिए आवश्यक है की किसान अच्छे बीजों का ही प्रयोग करें, जिससे जहां लागत कम होती है वहीं उत्पादकता भी बढ़ती है।
देश के अधिकांश राज्यों में मानसूनी बारिश शुरू हो गई है, जिसके साथ ही किसान अब खरीफ फसलों की बुआई का काम शुरू करने वाले हैं।
ऐसे में ज़रूरी है कि किसान बुआई से पहले बीजों का अंकुरण परीक्षण अवश्य कर लें ताकि उसके अनुसार किसान बुआई के समय बीज की मात्रा का प्रयोग कर सकें।
बीज का अंकुरण परीक्षण जरूरी क्यों…?
खेती में बीज के उपर ही पूरा कृषि कार्य निर्भर करता है, बीज अगर स्वस्थ्य होगा तो पौधे स्वस्थ्य होंगे, कीड़े बीमारी का प्रकोप कम होगा और उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि होगी वही यदि बीज सही नहीं है, तो बीज का अंकुरण अच्छा नहीं होगा।
प्रति इकाई क्षेत्र में पौध संख्या कम होगी और यदि अंकुरित हो जाता है तो पौधे अस्वस्थ्य एवं कीड़े बामारी का प्रकोप बढ़ जाने से रोकथाम हेतु कीटनाशकों एवं दवाओं का अधिक उपयोग करने के कारण उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
इसलिये बीज का अंकुरण परीक्षण बहुत जरूरी है।
किसान कैसे करें बीज अंकुरण परीक्षण
अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है की किसान बीज की बुआई से पहले उसकी अंकुरण क्षमता जान लें ताकि बोए गए बीज का अंकुरण सही से हो सके और खेत में कोई स्थान ख़ाली न रहे।
बीज अंकुरण परीक्षण के लिए किसान बीज की बोरी से बीज साफ-सफाई कर छोटे एवं अस्वस्थ दाने अलग कर लें तथा बिना छांटे 100 बीज गिनकर गीली बोरी में कतार में रखकर लपेट कर रख दें।
साथ ही बोरे में हल्की नमी बनाये रखे तीन चार दिनों में बीज अंकुरण होने के बाद अंकुरित बीज की संख्या के गिन ले क्योंकि यही आपके बीज अंकुरण प्रतिशत होगा।
विभिन्न बीजों के माध्यम से उचित अंकुरण क्षमता के मापदंड अलग-अलग होते है, जैसे धान 80-85 प्रतिशत, उड़द 75 प्रतिशत, सोयाबीन 70-75 प्रतिशत है।
जांच करके ही बीज की बुआई करें
अंकुरण परीक्षण में उपरोक्त मापदण्ड से थोड़ा अंतर होने पर बीज की मात्रा बढ़ाकर बोआई करें।
यदि बीज का अंकुरण प्रतिशत मापदण्ड से बहुत कम है तो उस बीज की बुआई न करें तथा बीज स्त्रोत को बीज वापस करें एवं तुंरत नजदीकी कृषि अधिकारी को जानकारी दें।
बीज की अंकुरण का पौध संख्या पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसलिये बीज की अंकुरण जांच करके ही बीज की बुआई करें।
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