आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से किसान न केवल कम समय में कृषि कार्यों को कम समय में पूरा कर सकते हैं बल्कि फसलों के उत्पादन में आने वाली लागत को कम कर अधिक उत्पादन भी प्राप्त कर सकते हैं।
जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।
इस क्रम में कृषि विभाग जबलपुर के उपसंचालक रवि आम्रवंशी द्वारा किसानों को कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न यंत्रों की जानकारी दी गयी है।
फसलों की बुआई
कृषि विभाग के उपसंचालक ने विभिन्न कृषि यंत्रों से किए जाने वाले कामों और उससे होने वाले फायदों के बारे में बताया है।
इसमें फसलों के अवशेष प्रबंधन से लेकर बुआई के काम आने वाले कृषि यंत्रों, उर्वरक एवं कीटनाशक दवाओं के छिड़काव में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की जानकारी दी गई है।
बुआई के लिए उपयोगी कृषि यंत्र
उपसंचालक रवि आम्रवंशी ने बताया कि किसानों को अरहर, सोयाबीन, मूंग, उड़द, चना, मसूर, मक्का एवं गेहूं जैसी फसलों की बोनी करने के लिए मल्टी क्रॉप-रेज़्ड बेड प्लांटर मशीन का उपयोग करना चाहिए।
इस मशीन से 20 से 22 इंच चौड़ी एवं 6 इंच ऊंची क्यारियाँ बनती हैं। जो तेज हवा एवं आंधी के प्रभाव से फसलों को सुरक्षित करती हैं।
वहीं उन्होंने फसल अवशेष जलाये बिना फसल की बोनी करने में उपयोगी यंत्र हैप्पी सीडर की जानकारी भी दी।
उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर मशीन द्वारा एक घंटे में एक एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में बोनी की जा सकती है।
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साथ ही फसल में पानी भी कम लगता है। खरपतवार कम होते हैं और उत्पादन भी अधिक होता है।
इस यंत्र का उपयोग करने से समय और लागत दोनों की बचत होती है।
कृषि विभाग के उपसंचालक के मुताबिक सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन किसानों को श्रम की बचत करने में सहायक है।
मशीन द्वारा बीज को मिट्टी में निर्धारित गहराई पर बोया जाता है जिससे अंकुरण अधिक होता है।
साथ ही उर्वरक को उचित अनुपात में पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है।
इस मशीन द्वारा कम समय में बोनी कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपयोगी कृषि यंत्र
उपसंचालक रवि आम्रवंशी ने बताया कि एक ओर जहां स्ट्रॉबेलर कृषि यंत्र पराली को खेतों से इकट्ठा कर छोटे-छोटे गट्ठे बना देता है वहीं रोटरी मल्चर यंत्र फसल के अवशेषों को छोट-छोटे टुकड़ों में काटकर उन्हें खेत में एक समान रूप से फैला देता है।
स्ट्रॉबेलर द्वारा एक घंटे में तकरीबन एक एकड़ खेत से पराली को हटाया जा सकता है।
साथ ही नरवाई के स्थानांतरण, संग्रहण आदि कार्यों को भी सफलता पूर्वक किया जा सकता है।
वहीं रोटरी मल्चर द्वारा गन्ने की फसल के अवशेषों, गेहूं और धान के पुआल, बैंचा और मक्का के डंठल से मलचिंग के लिए किया जाता है।
वहीं उन्होंने कृषि यंत्र स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम की जानकारी देते हुए बताया कि इसके द्वारा फसल अवशेषों को आसानी से खेतों में फैलाकर शीघ्र खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम को कंबाइन हार्वेस्टर में जोड़ा जाता है, यह यंत्र कंबाइन से काटी गई फसल के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके खेतों में बिखेर देता है।
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