हर महीने 1,000 रुपये मिलेंगे
महिला के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए लाड़ली बहना स्कीम चलाई जा रही है,
जिससे तहत इनकम टैक्स की कैटेगरी से बाहर या हर वर्ग की महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये या हर महीने 1,000 रुपये दिए जाएंगे.
मध्य प्रदेश की सरकार महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में तेजी से काम कर रही है.
कुछ समय पहले ही राज्य सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी स्कीम लॉन्च की थी.
इसी कड़ी में अब लाड़ली बहना योजना चलाई है, जिसके तहत गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों से आने वाली महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये का सहायतानुदान सीधा बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाएगा.
यह धनराशि हर महीने की 1,000 रुपये की किस्त के तौर पर सिर्फ उन महिलाओं को दी जाएगी, जो इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आतीं.
रिपोर्ट की मानें तो मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली बहना योजना को विधानसभा चुनाव जीतने का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है.
दरअसल, 2007 में भी शिवराज सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी स्कीम लॉन्च की थी, जिसका सकारात्मक प्रभाव 2008 और 2015 के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला.
लाड़ली बहना योजना का कैसे मिलेगा लाभ
लाड़ली बहना योजना का लाभ सिर्फ मध्य प्रदेश की महिलाएं ही ले सकती हैं.
हर जाति, धर्म और समाज की महिला को लाड़ली बहना योजना से जुड़ने का पूरा अधिकार है.
बशर्ते, मध्य प्रदेश राज्य की निवासी हो और इनकम टैक्स के दायरे में ना आती हों.
ऐसा है तो हर महिने 1,000 रुपये की किस्त यानी 12,000 रुपये सालाना सीधा बैंक खाते में ट्रांसफर हो रहेंगे.
एक अनुमान के मुताबिक, राज्य की करीब 1 करोड़ महिलाएं लाड़ली बहना योजना का लाभ ले सकती हैं.
क्या है आवेदन की प्रक्रिया
वैसे तो लाड़ली बहना योजना की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस यानी 8 मार्च 2023 से ही आवेदन प्राप्त किए जाएंगे.
रिपोर्ट की मानें तो शहर और गांव-गांव जाकर महिलाओं को इस योजना के बारे में जागरूक किया जाएगा और उनसे आवेदन फॉर्म भी भरवाएं जाएंगे.
एक बार आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो जून 2023 से ही बैंक खाते में हर महीने 1,000 रुपये आने लगेंगे.
इस स्कीम का सबसे ज्यादा फायदा किसान परिवार की महिलाओं को होगा.
60,000 करोड़ खर्च का अनुमान
एक अनुमान के मुताबिक, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से निर्धारित नियम और पात्रता के अनुसार राज्य की 1 करोड़ महिलाएं लाड़ली बहना स्कीम से लाभान्वित होंगी, जिसके लिए राज्य सरकार को हर साल 12,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
इस तरह 5 साल में करीब 60,000 करोड़ के खर्च का अनुमान है.
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