पशुपालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा जरिया है, जिसको देखते हुए सरकार पशुपालन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएँ (लोन) चलाई जा रही है।
जिसमें किसानों को बैंक ऋण के साथ ही सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना चलाई जा रही है।
करना होगा यह काम
पशुपालन विभाग के द्वारा चलाई जा रही आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना का मुख्य उद्देश्य मुख्य राज्य में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना, हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना, पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना और रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
अधिक से अधिक किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके इसके लिए आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना बनाई गई है।
पशुपालन के लिए लोन कैसे मिलेगा?
आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना का लाभ सभी वर्ग के सीमांत एवं लघु कृषक किसानों को मिलेगा।
पशुपालक किसान न्यूनतम 5 या इससे अधिक पशु की योजना स्वीकृत करा सकता है जिसमें अधिकतम सीमा राशि 10 लाख रुपये तक का ऋण स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है।
परियोजना की लागत का 75 प्रतिशत राशि बैंक ऋण के माध्यम से प्राप्त करनी होगी तथा शेष राशि 25 प्रतिशत की व्यवस्था स्वयं किसान हितग्राही के द्वारा मार्जिंन मनी सहायता एवं स्वयं के अंशदान के रूप में करनी होगी।
इकाई लागत की 75 प्रतिशत पर या हितग्राही द्वारा बैंक से प्राप्त ऋण पर जो भी कम हो 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से अधिकतम 25 हजार रुपये प्रतिवर्ष, ब्याज की प्रतिपूर्ति विभाग द्वारा 7 वर्ष तक की जाएगी।
5 प्रतिशत से अधिक शेष ब्याज की दर पर ब्याज की प्रतिपूर्ति हितग्राही को स्वंय करना होगी।
योजना में सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को लागत का 25 प्रतिशत अधिकतम डेढ़ लाख और अनुसूचित जाति एवं जनजाति को लागत का 33 प्रतिशत अधिकतम 2 लाख की सहायता दी जाएगी।
योजना की विस्तृत जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति पशु चिकित्सा कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
सभी किसान ले सकते हैं योजना का लाभ
पशु चिकित्सक विभाग ने बताया कि योजना में सभी वर्ग के हितग्राही शामिल है। इस योजना का लाभ लेने के लिए हितग्राही के पास कम से कम 5 पशु और एक एकड़ कृषि भूमि होना आवश्यक है।
पशुओं की संख्या में वृद्धि होने से अनुपातिक रूप से वृद्धि का न्यूनतम कृषि भूमि का निर्धारण किया जाएगा।
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