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मध्य प्रदेश में इथेनॉल उत्पादन पर सरकार ने खोला योजनाओं का पिटारा

 

5 साल तक मुफ्त बिजली

 

60 करोड़ तक की सब्सिडी

 

प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि इथेनॉल उत्पादन यूनिट अगर 100 करोड़ निवेश करती है तो उन्हें 7 साल में करीब ₹60 करोड़ सरकार सब्सिडी के तौर पर देगी.

प्रदेश में फिलहाल चावल और मक्का से इथेनॉल बनाया जाएगा जो ₹51 से ₹54 प्रति लीटर तक पेट्रोलियम कंपनियों को दिया जाएगा.

 

मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने प्रदेश में इथेनॉल (Ethanol) उत्पादन को लेकर कई बड़े फैसले लिए.

इसमें सब्सिडी से मुफ्त बिजली तक देने की बात कही गई है.

राज्य सरकार 2024 तक प्रदेश में 60 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन चाहती है.

ये इथेनॉल पेट्रोल में कुछ प्रतिशत तक मिलाया जा सकते हैं.

 

सोमवार 13 सितंबर को हुई कैबिनेट में बैठक में प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि इथेनॉल उत्पादन यूनिट अगर 100 करोड़ निवेश करती है तो उन्हें 7 साल में करीब ₹60 करोड़ सरकार सब्सिडी के तौर पर देगी.

प्रदेश में फिलहाल चावल और मक्का से इथेनॉल बनाया जाएगा जो ₹51 से ₹54 प्रति लीटर तक पेट्रोलियम कंपनियों को दिया जाएगा. 

इसमें 1 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से प्रोत्साहन मिलेगा.

 

मिलेगी कई तरह की वित्तीय सहायता

राज्य शासन ने इथेनॉल एवं जैव ईधन के उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता योजना जारी किए जाने का भी निर्णय लिया है.

उत्पादन से जुड़े प्लांट एवं मशीनरी मे किए गए निवेश के 100% की अधिकतम सीमा तक, पेट्रोलियम तेल उत्पादन कंपनियों को इकाई द्वारा उत्पादित इथेनॉल प्रदान करने पर 1.50 रुपए प्रति लीटर की वित्तीय सहायता प्रोडक्शन की शुरुआत से 7 साल तक दी जाएगी.

भूमि खरीदी करने पर स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क की 100% रिइंबर्समेंट किया जाएगा.

 

5 साल के लिए बिजली बिल में 100% की छूट

उत्पादन प्रारंभ करने के दिन से अगले 5 साल के लिए बिजली बिल में 100% छूट दी जाएगी.

गुणवत्ता प्रमाणन प्रतिपूर्ति गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50 प्रतिशत या 1 लाख रुपए जो भी कम हो, दिया जाएगा.

100% पेटेंट शुल्क की प्रतिपूर्ति 5 लाख रुपए तक की सीमा तक की जाएगी.

जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सुविधा के लिए इक्विपमेंट पर 50% अनुदान, जो 1 करोड़ रुपए की अधिकतम सीमा तक होगा, वो भी दिया जाएगा।

उद्योग के लिए निजी/ आवंटित अविकसित शासकीय भूमि पर पानी/बिजली/सड़क अधोसंरचना विकास के लिए परियोजना पर हुए व्यय के 50%, जो प्रत्येक मद के लिए अधिकतम 1 करोड़ रुपए की सीमा तक होगा, की प्रतिपूर्ति की जाएगी.

नीति के क्रियान्वयन के लिए एमपीआईडीसी, भोपाल नोडल एजेंसी होगी.

 

क्या है इथेनॉल

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

एथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होती है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है.

 

एथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है.

इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है.

इसके अलावा एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है. एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है.

एथेनॉल फ्यूल को इस्तेमाल करने से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आती है.

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