आधे दाम पर DAP की एक बोरी खरीदने का ये है तरीका
पिछले कुछ महीनों के दौरान डीएपी एवं अन्य पीएंडके खाद के कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई.
कंपनियों को होने वाले घाटे की भरपाई सरकार सब्सिडी के रूप करती है.
खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई जोर पकड़ने लगी है. अब किसानों को अपने खेतों डालने के लिए खाद की जरूरत पड़ेगी.
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ही किसानों को खाद के मोर्चे पर राहत दी थी. दरअसल, मोदी सरकार ने खाद पर मिलने वाली सब्सिडी की सीमा बढ़ा दी है.
DAP में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक बढ़ी हैं.
इसकी वजह से डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये है.
मगर केंद्र सरकार के खाद पर सब्सिडी की राशी बढ़ाने से यह 1200 रुपये में ही किसानों को मिलेगा. अब आइए समझ लेते हैं इसका पूरा हिसाब-किताब.
कृषि मंत्री के अनुसार, केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों की सब्सिडी पर करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है.
DAP में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी. इससे सब्सिडी की राशि बढ़कर 94,0000 करोड़ रुपये की हो गई है.
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कैसे मिलेगा किसानों 1200 में खाद
अगर कोई किसान खाद लेने के लिए दुकान पर जाता है तो उसे एक बोरी के लिए 1200 रुपये ही देने होंगे.
अगर MRP 2411 रुपये की है, फिर भी उससे 1200 रुपये ही लिया जाएगा. मगर इसका लाभ उठाने के लिए किसानों को अपने साथ अपना आधार कार्ड या किसान कार्ड देना होगा.
क्योंकि सरकार बायोमेट्र्रिक (अंगूठे का निशान) से आपकी पहचान स्थापित होने के बाद ही वो सब्सिडी के 1211 रुपये खाद कंपनियों को ट्रांसफर करेगी.
DAP खाद के एक बोरी पर पहले सरकार 500 रुपये सब्सिडी देती थी. उसे बढ़ाकर अब 1211 रुपये कर दिया गया है.
बढ़े हैं खाद के कच्चे माल के दाम
पिछले कुछ महीनों के दौरान डीएपी एवं अन्य पीएंडके खाद के कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तैयार डीएपी आदि के दाम भी उसी अनुपात में बढ़े हैं.
इस प्रकार एक बैग डीएपी की वास्तविक कीमत बढ़कर 2,400 रुपए हो गई है.
उर्वरक कंपनियां प्रति बैग 500 रुपये सब्सिडी के साथ इसे 1,900 रुपए में बेच रही थीं.
सरकार ने किसानों पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को कम करने के लिए सब्सिडी बढ़ा दिया.
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यूरिया और फॉस्फैटिक और पोटासिक फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी की पॉलिसी अलग है.
यूरिया इकलौता ऐसा खाद है जिसकी MRP आज भी सरकार नियंत्रित करती है. हालांकि, इसे बनाने वाली कंपनियां सरकार को अपनी लागत के हिसाब से एक भाव प्रस्तावित करती हैं.
कंपनियों को होने वाले घाटे की भरपाई सरकार सब्सिडी के रूप करती है.
कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की कितनी मांग?
- डीएपी की डिमांड 2019-20 में 103.30 लाख मीट्रिक टन पहुंची.
- एनपीके (नाइट्रोजन-N, फास्फोरस-P, पोटेशियम-K) की मांग 2019-20 में 104.82 लाख मीट्रिक टन थी.
- एमओपी (Muriate of Potash) की मांग 2019-20 में 38.12 लाख मिट्रिक टन थी.
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